Char dham Yatra 2022: तो क्या आदि कैलाश हैं असली कैलाश? जहां मौजूद हैं माता पार्वती और भोलेनाथ के विवाह का साक्ष्य…

 
Char dham Yatra 2022: तो क्या आदि कैलाश हैं असली कैलाश? जहां मौजूद हैं माता पार्वती और भोलेनाथ के विवाह का साक्ष्य…

Char dham Yatra 2022: सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है. कहते हैं आज के दिन जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान शंकर की आराधना करता है.

उन पर महादेव अपनी कृपा बनाए रखते हैं. साथ ही इन दिनों चार धाम की यात्रा भी शुरू हो गई है, ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको महादेव के एक ऐसे अनोखे निवास स्थल के बारे में बताने वाले हैं.

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जिसे आदि कैलाश के नाम से जानते हैं. आदि कैलाश को कैलाश मानसरोवर से भी प्राचीन बताया गया है, साथ ही इसे पंच केदार में से एक माना गया है.

यानि कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश के अलावा भी तीन कैलाश पर्वत मौजूद हैं. ऐसे में आज हम आपको आदि कैलाश की प्राचीनता और इतिहास के बारे में बताने वाले हैं. जहां आप कैलाश मानसरोवर की अपेक्षा बेहद ही आसानी से पहुंच सकते हैं.

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आदि कैलाश है महादेव का सबसे पवित्र धाम…

आदि कैलाश महादेव के कैलाश मानसरोवर की भांति एक पवित्र धाम है. जोकि उत्तराखंड राज्य के निकटवर्ती तिब्बत सीमा के पास मौजूद है. जिसकी समुन्द्र तल से ऊंचाई करीब 6191 मीटर है.

यहां पहुंचने के लिए आपको लगभग 105 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है. आदि कैलाश की यात्रा कैलाश मानसरोवर की तरह ही काफी रोमांचक है.

जहां की प्राकृतिक खूबसूरती हर किसी का मन मोह लेती है. मान्यता है, आदि कैलाश ही वह स्थान है, जहां माता पार्वती और महादेव अपने विवाह के दौरान ठहरे थे.

जिस कारण इसे सबसे प्राचीन और असली कैलाश माना जाता है. साथ ही इसे कैलाश मानसरोवर से छोटे कैलाश पर्वत की संज्ञा भी दी जाती है. यहां आपको शिव पार्वती का मंदिर, पार्वती सरोवर और गौरीकुंड भी देखने को मिलता है.

आदिकाल से ही ऋषि मुनि महादेव के इस पवित्र कैलाश की यात्रा करते आए हैं, लेकिन जब चीन का तिब्बत पर कब्जा हो गया. तब इस स्थान के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं थी.

ऐसे में जब साधु संतों ने आम जनमानस को बताया कि कैलाश मानसरोवर की तरह एक आदि कैलाश भी मौजूद है, जहां भी भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन सुलभ हैं.

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तब जाकर आदि कैलाश की यात्रा की जाने लगी, और तभी से इसे छोटे कैलाश धाम के नाम से जाना जाता है. आदि कैलाश का जिक्र आपको हिंदू धर्म के वेदों और पुराणों में भी देखने को मिलता है.

जिसमें बताया गया है कि अपने विवाह के दौरान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ इसी स्थान पर रुके थे. आदि कैलाश के बारे में प्रचलित है कि यहां जब भी बर्फ पड़ती है,

तो वहां ॐ के आकार का एक बर्फानी पर्वत निर्मित हो जाता है, जिसके दर्शन करने दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. हालंकि आदि कैलाश की यात्रा के लिए आपको सरकारी आज्ञा लेनी पड़ती है,

उसके बाद ही आपको आदि कैलाश जाने का सौभाग्य मिलता है. ऐसे में यदि आप सबसे प्राचीन और पहले कैलाश धाम की यात्रा करना चाहते हैं,

तो आपको उत्तराखंड राज्य के धारचूला से आज्ञा लेते हुए बुद्धि के रास्ते गूंजी पहुंचना होता है. जहां से आप आदि कैलाश पहुंच सकते हैं, इस दौरान आपको कई सारी पर्वतमालाएं और शिखर देखने को मिलते हैं. जिनको देखकर आप एक अलग ही अनुभूति महसूस करेंगे.

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