Chhath puja 2022: इस दिन बिहार स्थित सूर्य मंदिर में लगता है भक्तों का तांता, पूरी होती हैं हर कामना

 
Chhath puja 2022: इस दिन बिहार स्थित सूर्य मंदिर में लगता है भक्तों का तांता, पूरी होती हैं हर कामना

Chhath puja 2022: भारत देश पौराणिक मंदिरों की भूमि है. जहां युगों से युगों पुराने मंदिर स्थापित हैं. इतना ही नहीं यहां ऐसे मंदिर स्थापित हैं जो लोगों के भाग्य को भी बदल सकते हैं. इसी श्रृंखला में भारत का देव मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है.

यह मंदिर एक सूर्य मंदिर है जहां सात रथों से सूर्य की प्रस्तर मूर्तियां तीनों रूपों उदयाचल, मध्यांचल, अस्ताचल सूर्य के रूप में विद्यमान है. यह सूर्य मंदिर भारत के बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है. जो कि भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र माना जाता है.

ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है. जिसका निर्माण काल त्रेतायुग को माना जाता है. यह भारत का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जिसके मुख पूर्व दिशा की ओर नहीं बल्कि पश्चिम दिशा की ओर स्थित है.

आइए जानते हैं कि देव सूर्य मंदिर में छठ पूजा का क्या महत्व है और इस मंदिर का क्या इतिहास रहा है.

देव सूर्य मंदिर में छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा विशेष तौर पर बिहार का एक पर्व माना जाता है. बिहार में इस व्रत को लेकर लोगों के अंदर विशेष आस्था है. हालांकि अब यह व्रत पूरे देश भर में मनाया जाने लगा है. इस पर्व में सूर्य देवता को जल देकर पूरे दिन निर्जला व्रत को धारण किया जाता है. यही कारण है कि बिहार में देव सूर्य मंदिर को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है.

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इस देव सूर्य मंदिर में छठ व्रत को मनाने के लिए भारी भीड़ इकट्ठी होती है. हर साल चैत्र और कार्तिक मास में इस महापर्व को मनाने के लिए लोगों की आस्था का जमावड़ा लगता है. इस मंदिर की बनावट उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से मेल भी खाती है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था.

देव सूर्य मंदिर का इतिहास

देव सूर्य मंदिर का निर्माण 12 लाख 16000 वर्ष त्रेता युग के बीच जाने के बाद हुआ था. जिसको इला पुत्र एल देव ने निर्मित कराया था. यह मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण पेश करता है. जहां सीमेंट के बिना प्रयोग हुए ही कई रूपों और आकारों में मंदिर की आकृति को बनाया गया है.

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इस सूर्य मंदिर को हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बेहद फलदायक माना जाता है. जो भक्त इस मंदिर में आकर श्रद्धा पूर्वक व्रत का पारायण करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. यही कारण है कि छठ पर्व के दौरान यहां केवल बिहार से ही नहीं बल्कि झारखंड से भी लोग आते हैं और सूर्य देव की उपासना करते हैं.

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