Dhanteras 2022: भारतीय परंपरा में सोने की धातु को बेहद शुभ माना जाता है. सोने के आभूषण भारतीय परंपरा की पहचान भी होती है. यूं ही हमारे भारत देश को सोने की चिड़िया नहीं कहा जाता है.
इस देश में सोना धातु में देवी लक्ष्मी का वास मानते हैं. यही कारण है कि इस धातु को पूजनीय भी माना जाता है. हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख पर्व दीपावली है.
जोकि हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है. लेकिन इस विशेष पर्व से पूर्व धनतेरस का पर्व भी मनाया जाता है. जो कि परिवार की शुभता व समृद्धि का पर्व माना जाता है.
सोना धातु भारतीय हिंदू पर्वों जैसे – दीपावली, नवरात्रि, दशहरा, अक्षय तृतीया और धनतेरस जैसे त्योहारों पर खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं धनतेरस के दिन सोना खरीदना शुभ क्यों माना जाता है?
धनतेरस के पीछे की कहानी
दरअसल धनतेरस पर्व पर सोना खरीदने के पीछे एक प्राचीन कहानी है. इस कहानी के मुताबिक एक हिमा नाम की राजा हुआ करते थे. जिनका 16 वर्ष का एक पुत्र था. राजा ने अपने उस पुत्र की शादी एक कन्या से कराई थी.
लेकिन इस शादी के विषय में ज्योतिष आचार्यों ने भविष्यवाणी की थी कि शादी के चौथे दिन सांप के काटे जाने पर उनके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. यह सुनकर वरवधू और राजा दोनों ही बेहद दुखी हो गए. लेकिन राजा की बहू बेहद चतुर थी. उसने अपने पति के प्राणों की रक्षा हेतु एक योजना तैयार की.
इस योजना के अंतर्गत जिस दिन ज्योतिष ने उसके पति की मृत्यु की भविष्यवाणी की थी. उसी दिन बहू ने महल का सारा सोना और गहना एकत्रित करके मुख्य द्वार के सामने रख दिया. उसने अपने पति को जागते रहने की सलाह दी. उसके साथ बैठकर दोनों कहानियां सुनते रहे और मधुर गीत गाते रहे.

राजकुमार के प्राणों को हरने के लिए जब यमराज निर्धारित समय पर महल में पहुंचे. तब उन्होंने एक सांप का रूप धारण कर लिया. लेकिन जब वह राजकुमार के प्राणों को हरने के लिए द्वार पर आए तो सोने के गहनों के ढेर के आगे रुक गए.
चमकते सोने के गहनों ने सांप की दिशा दृष्टि को अंधा कर दिया. इस प्रकार वह महल के अंदर प्रवेश नहीं कर सके. महल के बाहर ही बहू के गाने सुनकर वह सांप रात भर उसमें ही मग्न हो गया.
इस तरह हर रात बीत गई और राजकुमार के प्राणों को हरने का समय भी निकल गया. जिसके चलते यमराज को राजकुमार के प्राण लिए बिना ही वापस जाना पड़ा. इस प्रकार अपनी चतुराई से उस वधू ने अपने पति के प्राणों की रक्षा की.
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कहानी से मिली प्रेरणा
इस प्रकार इस कहानी के अंतर्गत सोने के गहनों व जेवरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस कहानी से प्रेरित होकर ही सोना खरीदने की परंपरा को बढ़ोतरी मिली. धनतेरस की पूजा में सोना रखा जाने लगा और इसके अतिरिक्त इस दिन घर के मुख्य द्वार पर यमदीप के रूप में दीपक भी जलाया जाने लगा.