Ganesh ji: क्यों कहा जाता है गणपति बप्पा को एकदन्त? ये है कारण
Ganesh ji: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ गणेश जी की पूजा के बिना नहीं किया जाता. कोई भी मांगलिक कार्य हो सबसे पहले गणेश पूजन ही होता है. ताकि बिना विघ्न के मांगलिक कार्य संपन्न हो. गणपति जी को बुद्धि प्रदाता भी कहा था जाता है. साथ ही गणेश जी को एकदन्त भी कहा जाता है. आइये आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं.
आख़िर क्यों कहा जाता है बप्पा (Ganesh ji) को एकदन्त
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि। गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि॥
ये श्लोक आप लोगों ने सुना ही होगा.ये श्लोक गणपति की वंदना है. गणपति (Ganesh ji) की ये वंदना उनका आशीर्वाद पाने के लिए व अपनी मनोकामनाओं के पूर्ति के लिए किया जाता है.
बप्पा को एकदंत इनके एक टूटे दांत की वजह से कहा जाता है मगर इनका दांत टूटा कैसे या क्यों गणपति जी को एकदन्त कहते हैं, इस बात से आज भी बहुत से लोग अंजान है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भगवान गणेश का ये दांत किसने व क्यों तोड़ा.
महाभारत को महाकाव्य कहा जाता है. इसमें १,१०, ००० श्लोक हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि व्यास जी किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ कर रहे थे जो इसमें लिखे जाने वाले एक-एक श्लोक को समझकर आई लिख सके.
इसलिए व्यास जी ने जैसा कि महाभारत के प्रथम अध्याय में भी लिखा है कि वेद व्यास जी ने गणेश जी को इसे लिखने का प्रस्ताव दिया था जिसके लिए गणेश जी तैयार भी हो गए मगर उनकी शर्त ये थी कि महर्षि कथा लिखवाते समय एक पल के लिए भी रुकेंगे नहीं.
व्यास की ने गणेश से कहा कि आप एक भी वाक्य को बिना समझे नहीं लिखेंगे. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत का ग्रंथ लिखते-लिखते कलम टूट गई जिसके बाद उन्होंने अपना दांत तोड़कर उसे स्याही में डूबोकर उसी से महाभारत का ग्रंथ लिखा था. जिसके कारण उन्हें एकदंत कहा जाने लगा.
गणेश जी (Ganesh ji) ने समय समय पर ये साबित किया की वो सर्वोपरि हैं इसलिए हमेशा से उनको प्रथम पूजते हैं और हमेशा पूजते रहेंगे. बिना उनकी पूजा के कोई भी काम अधूरा ही रहेगा.
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