Ganesh ji: विनायक ही नहीं विनायकी भी है गणेश जी का एक रूप, जानिए क्या है विघ्नहर्ता के स्त्री अवतार की कहानी…
Ganesh ji: गणेश जी को हिंदू धर्म के प्रथम देव के तौर पर पूजा जाता है. मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति पर कोई विपदा आन पड़ती है, तब विघ्नहर्ता अपने उस भक्त को हर मुसीबत से बचा लेते हैं.
यही कारण है कि बुधवार के दिन विशेष रूप से गणेश जी की आराधना की जाती है. ऐसे में यदि आप भी गणपति जी के भक्त हैं तो आज हम आपको उनसे जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.
जिसमें उन्होंने स्त्री रूप धारण किया है. हमने सुना है कि समय समय पर अधर्म का नाश करने के लिए विष्णु जी, भगवान शंकर ने आदि शक्ति से दुनिया का परिचय कराया है,
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लेकिन विघ्नहर्ता को क्यों लेना पड़ा स्त्री अवतार? इसके पीछे एक बड़ी रोचक कथा है. जिसके बारे में आगे हम जानेंगे.
गणेश जी को इसलिए लेना पड़ा स्त्री अवतार…
गणेश जी के इस अवतार का वर्णन वन दुर्गा उपनिषद में किया गया है. जिसमें गणेश जी के स्त्री रूप को विनायकी और गणेश्वरी का नाम दिया गया है. तो चलिए अब जानते हैं क्यों लेना पड़ा श्री गणेश को स्त्री अवतार?
एक बार एक अंधक नाम का असुर था. जोकि माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाना चाहता था. ऐसे में उसने माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने के लिए काफी प्रयत्न किया.
लेकिन माता पार्वती ने उसकी एक न सुनी और मदद के लिए भगवान शंकर को याद किया. जब भगवान शंकर ने माता पार्वती को असुर से बचाने के लिए त्रिशूल उठाया, और उस राक्षस पर वार कर दिया.
लेकिन इसके बावजूद भी वह राक्षस नहीं मरा और उसके शरीर में जिस जगह से खून बह रहा था, वहां एक राक्षसी का जन्म हो गया.
ऐसे में भगवान शंकर को पता लगा कि यदि उस राक्षस को मारना है तो उसके खून को धरती पर गिरने से रोकना होगा. जिसके बाद देवी पार्वती ने सारे देवताओं को उस असुर को नष्ट करने के लिए बुलाया.
तब गणेश जी भी वहां आ गए और उन्होंने अंधक दैत्य का सारा खून पी लिया. जिससे गणेश जी का रूप बदल गया और वह स्त्री रूप में प्रकट हुए.
इस प्रकार, गणेश जी के इस रूप को स्त्री रूप कहा जाने लगा, जिसकी काफी धार्मिक मान्यता है, इस रूप में गणेश जी हुबहू माता पार्वती से मिलते हैं, और अपने इस रूप में भक्तों के बीच विनायकी नाम से जाने जाते हैं.