Ganesh vivah: गणेश जी के विवाह में भी आई थी रुकावटें, जानें फिर कैसे हुआ उनका विवाह?

 
Ganesh vivah: गणेश जी के विवाह में भी आई थी रुकावटें, जानें फिर कैसे हुआ उनका विवाह?

Ganesh vivah: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान शिव के पुत्र गणेश जी की आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई कार्य बिना भगवान गणेश की आराधना के किया जाता है, तब उस कार्य में अवश्य ही कोई ना कोई बाधा उत्पन्न होती है.

इतना ही नहीं, विवाह जैसे शुभ कामों को करने से पहले भी गणेश जी की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वयं भगवान गणेश (Ganesh vivah) के विवाह में अनेकों बाधाएं आई थी. जिसके पीछे क्या कारण था और भगवान गणेश का विवाह (Ganesh vivah) क्यों देरी से हुआ? इस बारे में आगे हम जानेंगे.

भगवान गणेश (Ganesh vivah) के विवाह की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. तब उनके धड़ के साथ हाथी का सिर जोड़ा गया था. इसके अलावा भगवान परशुराम के साथ युद्ध के समय भगवान गणेश (Ganesh vivah) का एक दांत भी टूट गया था. कहा जाता है इसी वजह से गणेश जी के विवाह में अनेक दिक्कतें आ रही थी.

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यही कारण है जब अन्य देवी-देवताओं का विवाह होता था, तब गणेश जी अपने वाहन मूषक को भेजकर अन्य देवी-देवताओं के विवाह में अड़चन पैदा किया करते थे. जब देवी देवताओं को इस बात का पता लगा तब सभी लोग ब्रह्मा जी के पास गए.

तब ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्रियों के साथ गणेश जी का विवाह (Ganesh vivah) तय कर दिया. जिनका नाम ऋद्धि-सिद्धि है, तभी से किसी भी विवाह या मंगल कार्य से पहले गणेश जी की आराधना की जाती है, ताकि सभी मंगल कार्य गणेश के आशीर्वाद से तरीके से संपन्न हो सके और उनमें किसी भी प्रकार की बाधा ना उत्पन्न होने पाए.

यही कारण है कि विवाह से जुड़े मामलों में गणेश जी की उपासना और उनका नाम अवश्य लिया जाता है. यहां तक कि विवाह के लिए छपवाए जाने वाले कार्ड में भी इसी वजह से गणेश जी का नाम भी लिखा जाता है, ताकि इन कार्यों को तरीके से संपन्न किया जा सके.

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