Ganesha story: गणेश जी के धड़ से अलग हुआ सिर आखिर कहां गिरा? जानें
Ganesha story: जैसा की आपको विदित है कि एक बार जब माता पार्वती स्नान करने गई हुई थी, तब उन्होंने बाहर पहरेदार के तौर पर अपने पुत्र गणेश को खड़ा कर दिया था.
जिसके बाद गणेश जी को उन्होंने कहा कि किसी को भी अंदर आने की अनुमति ना दें, लेकिन गणेश जी ने जब भगवान शिव को अंदर जाने से रोका, तब भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था,
जिसके बाद माता पार्वती के क्रोधित हो जाने पर भगवान शिव ने गणपति जी के सिर की जगह पर ही हाथी का सिर लगा दिया था. हम कई सारी धार्मिक किताबों में इस कथा को सुनते आए हैं,
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश के असली सिर का आखिर क्या हुआ? हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं…
भगवान गणेश के धड़ से अलग हुए सिर की कहानी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने गणेश जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया था, तब गणपति जी का सिर एक गुफा में गिर गया था, आगे चलकर इस गुफा की खोज आदि शंकराचार्य ने की थी.
इस गुफा को हम पाताल भुवनेश्वर के नाम से जानते हैं. जहां मौजूद गणेश जी के शीश को आदि गणेश के नाम से संबोधित किया जाता है. इस प्रकार भगवान गणेश के शीश की आराधना से जुड़ा ये मंदिर बेहद मान्यता प्राप्त है.
जोकि वर्तमान में देवभूमि यानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से करीब 14 किलोमीटर दूरी पर बना हुआ है. मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में भगवान गणेश के शीश की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं.
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मान्यता है कि जो भी व्यक्ति भगवान गणेश के इस अवतार की अर्चना करता है, वह अपने जीवन से अहंकार की भावना को हमेशा के दूर भगा सकता है.