Ganga dusshera 2022: कैसे शिव जी की जटाओं से निकलकर गंगोत्री तक पहुंची गंगा मैया? जानिए उनके अवतरण की कहानी…

 
Ganga dusshera 2022: कैसे शिव जी की जटाओं से निकलकर गंगोत्री तक पहुंची गंगा मैया? जानिए उनके अवतरण की कहानी…

Ganga Dusshera 2022: इस वर्ष भी हर साल की तरह गंगा दशहरा ज्येष्ठ महीने में मनाया जाएगा. गंगा दशहरा के दिन गंगा जी धरती पर अवतरित हुई थीं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा माता धरती पर जहां अवतरित हुईं थीं, उस स्थान को आज गंगोत्री धाम के नाम से जाना जाता है. जिसे चार धामों में से एक माना जाता है. गंगोत्री धाम भागीरथी तट पर स्थित है, जोकि हिमालय पर करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में मारे गए अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने देव यज्ञ कराया था.

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इतना ही नहीं, यहां मौजूद बर्फीले पानी में स्नान करके सारे पाप धुल जाते हैं. इसलिए लोग चार धाम की यात्रा के दौरान गंगोत्री धाम की यात्रा जरूर करते हैं. जहां ही गंगा मैया का उद्गम माना जाता है. गंगा भारत और हिंदू धर्म की सभी नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है. जोकि भगवान शिव की जटाओं से निकलकर धरती पर अवतरित हुई थीं. गंगा मैया धरती पर गंगोत्री से होते हुए सम्पूर्ण भारतवर्ष में निकलती हैं. ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको गंगा दशहरा के उपलक्ष्य में गंगा मैया के अवतरण की कहानी बताने वाले हैं…

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इस तरह से धरती पर अवतरित हुई थी गंगा मैया…

मान्यता है कि एक बार जब राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए देवी गंगा की तपस्या की, ताकि देवी गंगा उनके पूर्वजों की अस्थियों को स्पर्श करके उन्हें तृप्त कर दें. लेकिन देवी गंगा को ये अपमान लगा औऱ वे काफी गुस्से से धऱती लोक को समाप्त करने के लिए निकल पड़ी. जिस पर ब्रह्मा जी ने शिव जी से गंगा माता को रोकने का आग्रह किया.

Ganga dusshera 2022: कैसे शिव जी की जटाओं से निकलकर गंगोत्री तक पहुंची गंगा मैया? जानिए उनके अवतरण की कहानी…

जिस पर देवी गंगा को शिव जी ने शांत करने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में स्थान दे दिया. जिसके बाद देवी गंगा शांत रूप में धरती पर अवतरित हुईं. कहते हैं जब धरती पर गंगा मां आई, तभी राजा भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई औऱ स्वर्ग मिला. तभी से गंगा मैया का जल काफी पवित्र माना जाता है. राजा भागीरथ को गंगा माता को धरती पर लाने का श्रेय दिया जाता है,

Ganga dusshera 2022: कैसे शिव जी की जटाओं से निकलकर गंगोत्री तक पहुंची गंगा मैया? जानिए उनके अवतरण की कहानी…

जिस कारण गंगा को भागीरथी गंगा के नाम से भी जाना जाता है. गंगा जोकि गोमुख से निकलती हुई देवप्रयाग में जाकर अलकनंदा से मिलती हैं, तभी वह गंगा कहलाती हैं. आज भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति गंगाजल से स्नान या स्पर्श करता है, उसे सदा के लिए पापों से छुटकारा मिल जाता है.

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