Hanuman balaji facts: हनुमान जी को क्यों कहा जाता है बालाजी, जानें रोचक कथा
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Hanuman balaji facts: मंगलवार के दिन विशेष तौर पर बजरंगबली की उपासना की जाती है. बजरंगबली (bajrangbali) जिन्हें श्रीराम का सबसे बड़ा भक्त कहा गया है. बजरंगबली को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे केसरी नंदन, हनुमान जी, राम भक्त, वायुपुत्र, अंजनी कुमार और बालाजी आदि.
हनुमान जी (Hanuman ji) को उपरोक्त नामों से पुकारने के पीछे अनेक कारण मौजूद है. इनमें से आज हम आपको हनुमान जी के बालाजी नाम की कथा बताने वाले हैं. आज हम आपको यह बताएंगे कि हनुमान जी को मेहंदीपुर स्थित बालाजी क्यों कहा जाता है? चलिए जानते हैं...
हनुमान जी को क्यों कहते हैं बालाजी?
मेहंदीपुर स्थित बालाजी का मंदिर राजस्थान (Rajasthan) के दौसा जिले में मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में बजरंग बली की प्रतिमा किसी ने नहीं बल्कि वह स्वयं अवतरित हुए थे. बजरंगबली को बालाजी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों को अष्ट सिद्धियां और नवनिधि प्रदान करते हैं.
कहा जाता है कि जब महंत जी महाराज के पूर्वज को सपना आया कि सपने में उन्हें फौजी की एक टोली ने बालाजी की तीन मूर्तियां दीं और उनकी सेवा करने को कहा. पहले तो महंत जी महाराज के पूर्वज को समझ नहीं आया कि आखिर उनको ऐसे आदेश कौन दे रहा है? लेकिन उसके बाद जब साक्षात हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए, तब उन्होंने बालाजी की तीनों मूर्तियों को मेहंदीपुर में स्थापित करा दिया.
तब से लेकर अब तक हनुमान जी को वहां बालाजी के नाम से पूजा जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बालाजी के मंदिर में भूत-प्रेत और आत्माओं चंगुल से लोगों को आजाद कराया जाता है. उपरोक्त परेशानियों से ग्रसित व्यक्ति जब बालाजी (Bala ji) के दरबार पहुंचता है, तब उसे वहां बालाजी के अलावा प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के दर्शन भी करने पड़ते हैं.
इस दौरान बालाजी को लड्डू और प्रेतराज सरकार को चावल और भैरव बाबा को उड़द का प्रसाद अर्पित किया जाता है. मेहंदीपुर स्थित बालाजी में दूर-दूर से लोग दर्शन करने और बालाजी का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं. कहते हैं यहां आने पर व्यक्ति को भूत-प्रेत की बाधा से छुटकारा मिल जाता है.
बालाजी के मंदिर में आने पर बुरी शक्तियां व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ पाती. बालाजी के मंदिर में मौजूद बालाजी की मूर्ति की बाई छाती की तरफ एक छेद है, जिसमें लगातार पानी रिसता रहता है. जिसे लोग बालाजी का पसीना मानकर आश्चर्य प्रकट करते हैं.
बालाजी के मंदिर में भैरव बाबा (Bhairav baba) कोतवाल की भांति मौजूद है. बालाजी मंदिर को लेकर एक खास बात यह भी है कि इस मंदिर में मिलने या चढ़ाए जाने वाला प्रसाद लोग अपने घरों तक लेकर नहीं आते. इस प्रसाद को बालाजी के मंदिर में ही पूर्ण कर लिया जाता है.
ऐसा माना जाता है मेहंदीपुर (mehndipur) बालाजी का प्रसाद घर लाने से नकारात्मक शक्तियां भी आपके घर प्रवेश कर जाती है. मेहंदीपुर बालाजी आने वाले भक्तों अर्जी या हाजिरी लगाने के बाद वापस घर लौट आते हैं और अर्जी में प्रयोग किया गया प्रसाद वहीं छोड़ देते हैं.
मेहंदीपुर स्थित बालाजी में हनुमान जी के बाल रूप की उपासना की जाती है. यदि आप बालाजी मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको वहां जाने से पहले मांस मदिरा और लहसुन-प्याज खाने से परहेज करना चाहिए.
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