Holi 2023: होली पर क्यों लगाई जाती है लकड़ियों में आग? जानें होलिका दहन का धार्मिक महत्व…

 
Holi 2023: होली पर क्यों लगाई जाती है लकड़ियों में आग? जानें होलिका दहन का धार्मिक महत्व…

Holi 2023: हिंदू धर्म में होली का पर्व बेहद अहम माना गया है. यही कारण है कि होली वाले दिन विशेष तौर पर सभी लोग एक दूसरे से गिले-शिकवे मिटाकर गालों पर गुलाल लगाते हैं, और एक दूसरे का मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराते हैं. हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है, इस बार 7 और 8 मार्च को होली मनाई जाएगी. होली वाले दिन कई तरह की परंपराओं को निभाने की रस्म है,

इस दिन विशेष तौर पर होलिका दहन भी किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली वाले दिन होलिका दहन का क्या महत्व है? यदि नहीं तो आज के इस लेख में हम आपको किसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं

Holi 2023: होली पर क्यों लगाई जाती है लकड़ियों में आग? जानें होलिका दहन का धार्मिक महत्व…
Image credit:- thevocalnewshindi

जानें होलिका दहन का धार्मिक और पौराणिक महत्व

दशहरे की तरह होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. यही कारण है कि होली वाले दिन लकड़ियों का गट्ठर जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन के नाम से जाना जाता है. होलिका दहन की लपटें बेहद शुभ मानी जाती है,

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माना जाता है कि इस आग की लपटों में व्यक्ति की सारी मुश्किलें हल हो जाती हैं उसके सारे दुखों और चिंताओं का अंत होलिका दहन की राख में खाक हो जाता हैं. इतना ही नहीं होलिका दहन की अग्नि में बल होता है कि व्यक्ति अगर विधि विधान से होलिका की पूजा अर्चना करें,

तो उसको अवश्य ही अपनी सारी मनोकामना की पूर्ति प्राप्त होती है. होलिका दहन की परिक्रमा करने का भी अपना विशेष महत्व है, कहा जाता है जिस व्यक्ति को अपनी जितनी भी इच्छाओं की पूर्ति करनी है, उसे उतनी बार होलिका दहन की परिक्रमा करनी चाहिए. होलिका दहन के दौरान आपको उसमें उपले भी जलाने चाहिए, जिसका भी बेहद विशेष धार्मिक महत्व है.

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प्रह्लाद कौन था?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली वाले दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका द्वारा गोद में बिठाकर अग्नि में प्रवेश किया गया था, क्योंकि भक्त प्रह्लाद के पिता भगवान विष्णु भक्ति की वजह से अपने पुत्र से चिढ़ते थे,

ऐसे में जब भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उसे गोद में बिठाकर अग्नि में बैठ गई, भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद तो बच गया, लेकिन होलिका जलकर दहन हो गई.

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जबकि होलिका को महादेव से अग्नि में भस्म ना होने का आशीर्वाद प्राप्त था. इसलिए होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है.

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