Holi 2023: बिना गुजिया के क्यों अधूरा माना जाता है होली का पर्व? ये है प्रमुख कारण

 
Holi 2023: बिना गुजिया के क्यों अधूरा माना जाता है होली का पर्व? ये है प्रमुख कारण

Holi 2023: होली का पर्व हिंदू धर्म में बेहद प्रमुखता के साथ मनाया जाता है. इस बार होली 7 और 8 मार्च को मनाई जाएगी, जिसको लेकर अब बेहद कम ही दिन रह गए हैं.ऐसे में हर कोई होली की तैयारियों में लगा हुआ है. होली से पहले ही बेहद अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं. जिनका अपना विशेष महत्व है. होली के त्योहार से बहुत पहले लोग अपने घरों में पापड़ चिप्स इत्यादि बनाना शुरू कर देते हैं, इसके साथ ही कई लोग होली से जुड़े कई सारे पकवान भी बनाते हैं, लेकिन होली पर गुजिया को प्रमुख पकवान के तौर पर देखा जाता है, और इसके बिना होली का त्योहार अधूरा माना जाता है.

ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे, कि होली पर गुजिया को प्रमुख पकवान के तौर पर क्यों जाना जाता है, और यह पकवान कब सबसे अधिक प्रचलन में आया? तो चलिए जानते हैं…

Holi 2023: बिना गुजिया के क्यों अधूरा माना जाता है होली का पर्व? ये है प्रमुख कारण
An Indian sweet snack - gujiya, specially made and served on Holi to celebrate the festival

होली और गुजिया का इतिहास

गुजिया एक प्रकार का मुगलकालीन स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसका स्वाद सबसे पहले 13वीं शताब्दी में चखा गया था.

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उस दौरान गुजिया में गुड़ और शहद को आटे की खेप में भरकर धूप में सुखाया जाता था. ऐसे मैं आधुनिक समय में हम गुजिया का जो रूप देख रहे हैं वह पहली बार 17 वीं सदी में सामने आया था.

जिसको सबसे पहले बुंदेलखंड के क्षेत्रों में बनाया जाता था. इस दौरान भारत में समोसे की शुरुआत के साथ ही गुजिया का भी चलन हुआ था. जिसे भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

Holi 2023: बिना गुजिया के क्यों अधूरा माना जाता है होली का पर्व? ये है प्रमुख कारण
Image credit:- unsplash

भारत में जहां इसे गुजिया, बिहार में इसे पेड़किया, गुजरात में घुगरा और महाराष्ट्र में करंजी के नाम से जाना जाता है. पहले के समय में महिलाएं इसलिए नाखून बढ़ाया करती थी, ताकि आसानी से गुजिया को गोंठ कर बनाया जा सके.

जबकि आजकल गुजिया बनाने के लिए सांचे का प्रयोग किया जाता है. सबसे पहले होली के दिनों में गुजिया का चलन ब्रज क्षेत्र में हुआ करता था. जहां भगवान श्री कृष्ण के भक्त भगवान श्री कृष्ण को गुजिया का भोग लगाते थे,

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तभी से संपूर्ण भारतवर्ष में होली से 1 दिन पहले गुजिया बनाई जाती है. इसके अलावा कई लोग दिवाली और छठ पूजा के दौरान भी गुजिया का सेवन करते हैं, इस तरह से गुजिया का पकवान प्रचलन में आया जिसको लोग बेहद चाव के साथ खाते हैं.

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