Jai shree Krishna: लड्डू गोपाल की छाती पर बने पैरों के इन निशानों के पीछे छिपा है अद्भुत रहस्य, जानिए…

 
Jai shree Krishna: लड्डू गोपाल की छाती पर बने पैरों के इन निशानों के पीछे छिपा है अद्भुत रहस्य, जानिए…

Jai shree Krishna: भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में भगवान श्री कृष्ण काफी लोकप्रिय है. मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान श्री कृष्ण की सच्चे मन से आराधना करता है, भगवान श्री कृष्ण उसपर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं.

भगवान श्री कृष्ण के भक्त उन्हें बांके बिहारी, श्याम, मुरारी आदि नामों से पुकारते हैं. तो वहीं भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप को लड्डू गोपाल के रूप में पूजते हैं.

हर जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के रूप को पूजा जाता है, और विधि विधान से उनकी आराधना की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लड्डू गोपाल की छाती पर पैरों के निशान क्यों बने हैं?

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जी हां! अगर आपने कभी गौर किया है, तो आप देखेंगे कि लड्डू गोपाल की छाती पर पग चिह्न बने हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन पग चिह्नों के पीछे क्या कहानी छिपी है, यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं.

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लड्डू गोपाल की छाती पर बने पग चिह्नों के पीछे ये है कहानी…

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार जब ऋषि मुनियों के मध्य ये विवाद जन्मा कि सनातन धर्म के तीन प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कौन सर्वश्रेष्ठ है, तब ऋषियों में प्रमुख भृगु ऋषि को इस बात का पता लगाने का जिम्मा सौंपा गया कि आप बताएं कि त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ कौन है?

जिसके बाद ऋषि भृगु सबसे पहले ब्रह्मा जी की परीक्षा लेने स्वर्गलोक पहुंचे. जहां उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि तुमने मेरा आदर सत्कार ना करके मेरा अनादर किया है, और ऋषि भृगु ब्रह्मा जी पर क्रोधित होने लगे. जिस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम अपने पिता से आदर करवाना चाहते हो, तुम कितने भी बड़े विद्वान क्यों ना हो जाओ?

तुम्हें बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए. और ब्रह्मा जी ने ऋषि भृगु के प्रति अपना क्रोध व्यक्त करना आरंभ कर दिया. जिस पर ऋषि भृगु ने ब्रह्मा जी से माफी मांगी और कहा कि हे प्रभु! मैं केवल ये देखना चाह रहा था कि आपको क्रोध आता है या नहीं!

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और ऐसा कहकर ऋषि भृगु वहां से कैलाश पर्वत चले गए, जहां भगवान शिव विराजित हैं. जहां जाकर ऋषि भृगु को नंदी ने बताया कि महादेव अभी ध्यान में लीन है, वो अभी वहां से चले जाए.

जिस पर ऋषि भृगु स्वयं महादेव के पास पहुंच गए और कहने लगे, कि महादेव आपके द्वार तो सदा ऋषि मुनियों के लिए खुले रहते हैं, तो फिर आप क्यों मेरे आदर और सत्कार के लिए नहीं उठे? ऋषि भृगु के इतना कहते ही भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ऋषि भृगु को मारने के लिए शस्त्र उठा लिए.

लेकिन तभी देवी पार्वती वहां आ गई और उन्होंने महादेव से ऋषि भृगु के प्राण बचाने के लिए प्रार्थना की. इसके बाद ऋषि भृगु जगत के पालनहार विष्णु जी के पास पहुंचे. भगवान विष्णु इस समय निद्रा में थे, जिस पर ऋषि भृगु को लगा कि भगवान विष्णु सोने का नाटक कर रहे हैं, और उन्होंने अपना पैर भगवान विष्णु की छाती पर रख दिया.

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हालांकि ऋषि भृगु के इस व्यवहार पर श्री हरि ने कोई क्रोध व्यक्त नहीं किया. बल्कि उन्होंने ऋषि भृगु से कहा कि हे ऋषिवर, मेरी कठोर छाती की वजह से कहीं आपके पैरों को कोई हानि तो नहीं पहुंची. श्री हरि के इस व्यवहार से प्रसन्न होकर ऋषि भृगु ने उन्हें त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ घोषित कर दिया.

कहते हैं तभी से लड्डू गोपाल की छाती पर पग चिह्न विराजित है, जो किसी और के नहीं, बल्कि ऋषि भृगु के हैं, जिन्होंने उन्हें सतोगुणी देव की उपाधि दी थी. तभी से भगवान विष्णु के अनेकों अवतारों की छाती पर पग चिह्न देखने को मिलते हैं.

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