Shiv mystery: तो इसलिए लेना पड़ा था भगवान शिव को भिक्षु का अवतार, पढ़ें ये पौराणिक कथा
Shiv mystery: हिंदू धर्म में भगवान शिव को सभी देवों में प्रमुख माना गया है. जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है. भगवान शिव हमेशा अपने अवतारों और अपने द्वारा दिए गए विशेष आशीर्वाद के लिए अपने भक्तों के बीच जाने जाते हैं.
संपूर्ण भारत वर्ष में भगवान शिव के अनन्य भक्त मौजूद है, जोकि अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. शिव जी जिन्हें भोलेनाथ, शंकर आदि नामों से जाना जाता है,
हमारे आज के इस लेख में हम आपको भगवान शिव से जुड़ी एक ऐसी कथा के बारे में बताने वाले हैं, जिसमें हम आपको बताएंगे कि आखिर भगवान शिव को एक भिक्षु का अवतार क्यों लेना पड़ा था? तो चलिए जानते हैं….
भगवान शिव की इस कथा का रहस्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब माता अंजनी और पिता केसरी को करीब 12 सालों से संतान का सुख प्राप्त नहीं हो रहा था. तब उन्होंने ऋषि मतंग की सेवा करके उनसे संतान सुख का उपाय पूछा,
जिस पर ऋषि मतंग ने माता अंजनी और पिता केसरी को भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा. जिस पर अंजनी माता और पिता केसरी ने 56 प्रकार के भोग बनाएं,
और भगवान शिव ने इन दोनों की परीक्षा लेने के लिए एक भिक्षु का वेश धारण किया. इसके बाद भगवान शिव ने भिक्षु का वेश धारण करके माता अंजनी से 56 प्रकार के भोग मांगे,
जिस पर माता अंजनी ने उसे कहा कि यह सारा वह भगवान शिव के लिए है, इसके बाद वह भिक्षु भगवान शिव की बुराई करने लगा, जिस पर माता अंजनी ने क्रोधित होकर 56 प्रकार के बनाए हुए भोजन को उस भिक्षु को दे दिया,
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इसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अपना अवतार लिया और माता अंजनी और पिता केसरी को एक पुत्र का वरदान दिया. शिव ने कहा कि आपके घर हनुमान का जन्म होगा, जो कि कलयुग के प्रमुख देवता के तौर पर जाना जाएगा.