Lord Shiva Facts: अगर आप भी हैं भोलेबाबा के भक्त, तो जरूर जानें शिवजी से जुड़े ये अनोखे तथ्य...
Lord Shiva Facts: भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है. जैसे भोलेनाथ, कैलाशपति, शंकर जी, मृत्युंजय इत्यादि. भगवान शिव की जीवन की कहानी जितनी सरल है उतनी ही रहस्यमयी भी है.
भगवान शिव के बारे में हम लोगों ने बहुत कुछ सुना और पढ़ा है परन्तु शिवजी से ऐसे कई रहस्य और तथ्य जुड़े हुए है जो अधिकांश लोगों को नहीं पता हैं.
जैसे कि भगवान शिव का स्वरूप बाकी देवी-देवताओं से अलग क्यों है, वह अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं, ऐसे अनेकों प्रश्न हैं जिनके उत्तर प्रत्येक व्यक्ति जानना चाहता है.
आज हम आपको भोलेबाबा के ऐसे ही 5 रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं. आशा करते हैं आपको यह लेख पसन्द आएगा.
भगवान शिव से जुड़े हुए 05 अनोखे रहस्य...
शिवलिंग निराकार रूप को दर्शाता है
भगवान शिव की मुख्य पूजा शिवलिंग के रूप में ही की जाती है. क्या आप जानते हैं कि और किसी भी देवी-देवताओं की खण्डित या टूटी हुई मूर्ति की पूजा नहीं होती है.
बल्कि उस मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है. लेकिन शिवलिंग कितना भी खण्डित क्यों न हो कितना भी टूटा क्यों न हो पर पूजनीय होता है, इसलिए भगवान शिव का हर शिवलिंग उनके निराकार स्वरूप को दर्शाता है.
शिवलिंग की पूजा
शिवलिंग पर वेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है, और सभी जानते है कि वेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं.
लेकिन वेलपत्र चढ़ाने का भी एक विधान होता है. वह यह है कि वेलपत्र को सदैव जल के साथ ही चढ़ाना चाहिए तभी पूर्ण फल प्राप्त होता है .
शिवलिंग पर वेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है, और सभी जानते है कि वेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं.
लेकिन वेलपत्र चढ़ाने का भी एक विधान होता है. वह यह है कि वेलपत्र को सदैव जल के साथ ही चढ़ाना चाहिए तभी पूर्ण फल प्राप्त होता है.
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भगवान शिव की पूजा में शंख निषेध
शिवलिंग की पूजा में शंख का प्रयोग निषेध होता है और न ही शंख से शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है,
क्योंकि भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से शंखचूड़ राक्षस का वध किया था, और शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना हुआ था.
भगवान शिव की जटाओं में गङ्गा
हिन्दू धर्म में गङ्गा नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है गङ्गा नदी भगवान शिव की जटाओं से ही बहती हैं, लेकिन ऐसा क्यों है?
इसकी भी एक कहानी है जब देवी गङ्गा को पृथ्वी पर उतारने का विचार आया तो एक समस्या यह भी उतपन्न हुई कि उनका प्रबल वेग कैसे सम्भाला जाए.
तभी सभी देवों ने भगवान शिव से कहा कि प्रभु देवी गङ्गा को आप ही अपनी जटाओं में स्थान दें, नहीं तो पृथ्वी पर जल प्रलय हो जाएगी .तब भगवान शिव ने देवी गङ्गा को अपनी जटाओं में स्थान दिया.
और बाद में अपनी जटाओं से ही निकलने का मार्ग दिया, और मां गंगा बड़े ही शांत ढंग से धरती पर अवतरित हुईं. इसी कारण से मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में रहती है .
भगवान शिव का गङ्गा को अपनी जटाओं में स्थान देना यह दर्शाता है, कि शिव जी न केवल संहार करते हैं अपितु पृथ्वी का कल्याण भी करते हैं.
मस्तक पर चन्द्रमा
भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान चन्द्रमा को मिला हुआ है. जिसके बारे में यह कहा जाता है कि चंद्रमा को महाराज दक्ष ने श्राप दिया था.
उस श्राप से बचने के लिये चन्द्रमा ने भगवान शिव की आराधना की. जिससे भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रमा के प्राणों की रक्षा की.
इस प्रकार, ये कुछ आवश्यक रहस्य थे, जोकि भगवान शिव से जुड़े हुए हैं. जिनके बारे में शिव भक्तों को अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए.