Mahabharat Stories: द्रौपदी के चीरहरण को पहले ही क्यों नहीं रोक पाए श्री कृष्ण? ये थी वजह…
Mahabharat Stories: महाभारत की कहानी हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ के तौर पर जानी जाती है. जिसमें मौजूद अधिकांश ही पात्र हिंदू धर्म में विशेष व्यक्तित्व के तौर पर पूजे जाते हैं. यही कारण है कि महाभारत की कहानी 21वी सदी में भी काफी प्रासंगिक मानी गई है. महाभारत की कहानी में आपने द्रौपदी के चीर हरण के बारे में भी अवश्य सुना होगा.
महाभारत की कहानी के अनुसार, जब पांडव कौरवों से जुए में हार गए थे. तब कौरवों में दुर्योधन ने पांडवों की धर्मपत्नी द्रौपदी को सम्मानित लोगों की सभा में नग्न अवस्था में लाने का आदेश दिया था. जिस पर पांडव समेत हस्तिनापुर के प्रबुद्ध जन भी कुछ नहीं कर पाए थे. लेकिन यह सर्वविदित है कि द्रौपदी का चीर हरण होने से श्री कृष्ण ने बचाया था.
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लेकिन जिस युग में स्वयं भगवान विष्णु ने अवतार लिया था, उस युग में कैसे एक स्त्री का इतना अपमान हो गया, हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं, भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी के चीरहरण को पहले से ना रोक पाए. तो चलिए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी…
ये कारण था कि द्रौपदी का चीरहरण ना रोक सके श्री कृष्ण
भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि हर व्यक्ति को उसके कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. ऐसे में जब द्रौपदी को हस्तिनापुर की सभा में बालों समेत घसीटकर लाया गया, तब पांडव और हस्तिनापुर के सभी बड़े लोग इस वाक्यांश को देखकर चुप रहे. ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी का चीर हरण क्यों ना रोक सके? इसके पीछे का उत्तर जानने के लिए हमें श्री कृष्ण की इस बात को समझना पड़ेगा.
भगवान श्री कृष्ण के मुताबिक, जब भी किसी व्यक्ति को दुख का अनुभव होता है या परेशानी महसूस होती है. तब व्यक्ति अक्सर ईश्वर को याद करता है, जिसके बाद भगवान किसी ना किसी रूप में व्यक्ति की मदद करते हैं. श्री कृष्ण की मानें तो जब पांडव कौरवों से जुए में हार गए थे. तब उन्होंने ईश्वर यानी कि श्रीकृष्ण को याद करना मुनासिब नहीं समझा. इतना ही नहीं जब द्रौपदी को बाल पकड़कर दुशासन भरी सभा में ले जा रहा था,
तब भी द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को याद नहीं किया. इतना ही नहीं, सभा में उपस्थित किसी भी व्यक्ति के मन में यह प्रश्न नहीं उठा कि इस कठिन घड़ी में भगवान श्रीकृष्ण को याद किया जा सके. ऐसे में जब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण को याद किया, तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की. ऐसे में इस कहानी से अभिप्राय है कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, ईश्वर को याद कर लेने मात्र से ही वह आपकी परेशानियों का हल ढूंढने में आपकी मदद करते हैं.