Mahakal Sawari 2023: सावन के दिनों में निकाली जाती है महाकाल की सवारी, जानें महत्व
Mahakal Sawari 2023: महाकाल मंदिर जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है, एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जिसे शिव भक्तों द्वारा पूजा और आराधना का केंद्र माना जाता है. इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है और इसे महाकालेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. महाकाल मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था, और इसे विभिन्न युगों में सुधारा और विस्तारित किया गया. मान्यताओं कीमानें तो, इस मंदिर का स्थापना महाकाल की पूजा के लिए महाराजा विक्रमादित्य ने 6वीं सदी में की थी.
इसके बाद से इस मंदिर में नियमित रूप से सुधार होता रहा है. महाकाल मंदिर का मुख्य भव्य निर्माण 18वीं और 19वीं सदी में हुआ. जब मराठा साम्राज्य के राजकुमार श्रिविजय शिंदे ने इसे सुधारा सजाया. इसीलिए इस मंदिर में अब भी मराठा स्थापत्य शैली में दिखाई देता है. महाकाल मंदिर (Mahakal Sawari 2023) एक प्रमुख शिवालय होने के साथ-साथ काल भैरव और दक्षिणा मूर्तियों को भी अत्यधिक महत्व देता है.
इस मंदिर में भगवान शिव की प्रमुख मूर्ति के रूप में महाकाल शिव की पूजा की जाती है. मंदिर के अंदर एक अंतरिक्ष है जिसे "गर्भगृह" के नाम से जाना जाता है, जहां पूजा की जाती है. यहां पर विभिन्न पूजा- आराधना की जाती है, खासतौर पर यहां की भस्म आरती जो कि पूरे देश में प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इस आरती में शामिल होने के लिए यहां आते हैं. और महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
इसके साथ ही महाकाल (Mahakal Sawari 2023) की सवारी भी बहुत प्रसिद्ध है. यह सवारी भगवान शिव के ध्येय में निकलती है और महाकाल मंदिर के चारों द्वारों से होती है. इस सवारी का इतिहास काफी पुराना है.
महाकाल सवारी का इतिहास (Mahakal Sawari 2023)
महाकाल की सवारी (Mahakal Sawari 2023) का इतिहास के अनुसार, यह प्रारंभिक रूप से तिथि या वर्ष में निर्धारित नहीं होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव स्वयं निर्धारित करते हैं कि उसकी सवारी कब और कैसे होगी. इसे प्रतिवर्ष एकादशी तिथि के दौरान आयोजित किया जाता है, जो वसंत पंचमी से पूर्व और महाशिवरात्रि के पूर्व आती है. सवारी का आयोजन स्वर्गीय महाराजा श्रिविजय शिंदे ने 18वीं सदी में शुरू किया था.
उसके बाद से, यह हर साल आयोजित किया जाता है. सवारी में, भगवान महाकाल की मूर्ति को पालकी में रखा जाता है, और यह पालकी श्रीमंत परिवारों के द्वारा नियंत्रित की जाती है. सवारी भगवान के आराधकों के द्वारा देखी जाती है. इस साल महाकाल की सवारी 10 जुलाई 2023 को धूमधाम के साथ निकाली जाएगी. यह सवारी महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण से आरंभ होती है और उसके बाद सभी मुख्य बाजार सड़कों से होकर गुजरती है.
इसके दौरान, सवारी भगवान शिव की महाकाल मूर्ति के सामने एक प्रदर्शन करती है और उन्हें विभिन्न पूजा-अर्चना और भक्तों की आरती की सेवा के लिए ठहराती है. महाकाल (Mahakal Sawari 2023) की सवारी को देखने के लिए हजारों भक्तों और पर्यटक इस त्योहार के दौरान उज्जैन में आते हैं. इसका आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और लोग इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं.
महाकाल (Mahakal Sawari 2023) मंदिर का इतिहास और महत्व हिंदू धर्म में गहरे रूप से स्थापित है और यह शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं जो इसे धार्मिकता, आध्यात्मिकता के माध्यम से अनुभव करने का अवसर प्राप्त करते हैं.
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