Mahashivratri 2023: फाल्गुन महीने के 14वें दिन क्यों मनाया जाता है शिवरात्रि का पर्व? जानें पौराणिक कथा
Mahashivratri 2023: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना का दिन माना गया है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है, इसके साथ ही शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंग अस्तित्व में आए थे, जिस कारण हर साल फाल्गुन महीने में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फाल्गुन महीने के 14 वें दिन शिव भगवान शिव की आराधना के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है? यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं…
महाशिवरात्रि पर्व की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच इस बात को लेकर जंग होने लगी, कि उन दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है? तब उसी दौरान एक विशाल लिंग उनके बीच आकर प्रकट हो गया.
ऐसे में ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने यह तय किया कि जो भी इसके छोरको ढूंढकर लाएगा, उसे ही दुनिया में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा. ऐसे में जब भगवान विष्णु को इस विशाल लिंग की उत्पत्ति का कोई स्रोत नहीं प्राप्त हुआ,
तब वह हताश होकर वापस लौट आए, जबकि ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को उस विशाल लिंग का छोर बताया, जब भगवान शिव को इस बात की भनक लगी तब उन्होंने ब्रह्मा जी से क्रोधित होकर उनका एक सिर धड़ से अलग कर दिया,
इसके साथ ही उन्होंने केतकी के फूल को भी श्रापित करार दिया, यही कारण है कि भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूलों को प्रयोग में नहीं लिया जाता. कहा जाता है कि इस विशाल लिंग की उत्पत्ति भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के समक्ष फाल्गुन महीने के 14 वें दिन ही हुई थी,
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जिस कारण इसी दिन महाशिवरात्रि के पर्व का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही महा शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के होने का भी प्रचलन है और भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने पर भी इस दिन को विशेष तौर पर मनाया जाता है.