Parshuram Dwadashi: निसंतान दंपतियों के लिए बेहद खास है ये तिथि, जानें क्या करने से होगा लाभ

  
Parshuram Dwadashi: निसंतान दंपतियों के लिए बेहद खास है ये तिथि, जानें क्या करने से होगा लाभ

Parshuram Dwadashi: हिंदू धर्म में 7 व्यक्तियों को चिरंजीवी होने का वरदान मिला है.इन्हीं चिरंजीवी में से एक है भगवान परशुराम. भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विशेष तौर पर वह दंपत्ति व्रत इत्यादि का विधि विधान से पालन करते हैं, जिनको संतान का सुख प्राप्त नहीं होता. परशुराम जी ने धरती पर क्षत्रियों के बढ़ते आतंक को समाप्त करने प्रण लिया था, इस तरह से इन्होंने अपने जीवन काल में 21 बार क्षत्रिय राजाओं से युद्ध कर उनको पराजित किया.

भगवान परशुराम ने युद्ध आदि से आजाद होकर अपना शेष जीवन महेंद्र गिरी पर्वत पर जाकर व्यतीत किया. जहां आज भी वह अमर कहलाते हैं. परशुराम ने शिव जी की भक्ति करके दिव्यास्त्र प्राप्त किए थे और भगवान विष्णु के आग्रह पर ही क्षत्रिय राजाओं के आतंक से धरती को मुक्त कराया था. आज मंगलवार के दिन भगवान परशुराम द्वादशी तिथि मनाई जा रही है. ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको परशुराम द्वादशी के दिन किस तरह से पूजा पाठ करें, उसके बारे में बताएंगे?

परशुराम द्वादशी के दिन क्या करें?

1. संतान प्राप्ति की कामना हेतु आप परशुराम द्वादशी पर व्रत का पालन कर सकते हैं.

2. आज के दिन आपको परशुराम के चित्र या मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करके पवित्र स्थान पर स्थापित करना चाहिए. इस दौरान परशुराम की मूर्ति को लाल कपड़ा बिछाकर विराजित करना चाहिए.

3. भगवान परशुराम की पूजा के दौरान आपको फल, फूल, धूपबत्ती, प्रसाद आदि चढ़ाना चाहिए.

4. इसके बाद परशुराम भगवान की आरती उतारकर मंत्र का जाप करें.

5. शाम के समय आप भगवान परशुराम की आरती उतारकर फलाहार कर सकते हैं, इसके बाद अगले दिन पूजा करने के बाद ही आप अपना व्रत खोल सकते हैं.

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