Pitru Paksha 2023: मृत्यु के बाद श्राद्ध क्यों है जरूरी? क्या है इसके पीछे का रहस्य?

Pitru Paksha 2023: कहते है कि आत्मा अमर, अजर है, जिसका नाश नहीं हो सकता लेकिन शरीर जरूर खत्म हो जाता है और जब शरीर खत्म होता है, तो ये आत्मा ही है जो बैचेन हो जाती है अपना शरीर को पाने के लिए, लेकिन कर्म अनुसार आत्मा को वो पीड़ा भी झेलनी पड़ती है. यानि की जैसे कर्म वो अपने जीवन में करता है, वैसे ही वो मौत के बाद पीड़ा भी सहता है. लेकिन मृत्यु के बाद एक परिवार ही होता है, जो रीति-रिवाज और तमाम कर्मकाण कर मृत आत्मा को शांति दिला सकते हैं.
मृत्यु पश्चात क्या क्या होता है ये जानने की जिज्ञासा शायद आज हर किसी के मन में हो. हालांकि जीते जी ये जान पाना किसी के बस में नहीं होता. लेकिन गरुड़ पुराण में इसका वर्णन भी देखने को मिलता है. गरुण पुराण में बताया गया है कि जिस समय किसी की मृत्यु हो जाती है उस समय यमलोक से यमदूत मरने वाले के शरीर से आत्मा को निकाल कर अपने साथ यमलोक ले जाते हैं. जिसके बाद उसे यमलोक में कर्मानुसार कष्ट झेलने पड़ते है. भूख-प्यास से बेचैन आत्मा किस तरह से तड़पती है इसका भी जिक्र गरुण पुराण में दिया गया है. यही वजह है आत्मा को शांति और इसकी तड़पन को कम करने का एक जरिया पिंडदान माना गया है.
मृत्यु के बाद पिंडदान क्यों है जरूरी?
कहते है जब तक उस आत्मा के वंशज पिंडदान नहीं कर देते तब तक वो आत्मा दुखी होकर ही घूमती रह जाती है. इसलिए कहा भी जाता है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो तो उसके नाम पर लगातार 10 दिनों तक पिंडदान जरूर करना चाहिए. क्यों की ऐसा करने से सूक्ष्म शरीर को चलने-फिरने की शक्ति मिल जाती है, और आत्मा को शांति भी प्रदान होती है. बात अगर पितृ श्राद्ध की करें तो, माता-पिता और पुरखों की मृत्यु के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले इसी कर्मकांड को पितृ श्राद्ध कहा जाता है. जिसको लेकर भाद्र पद के कृष्णपक्ष में 15 दिन पितृपक्ष को समर्पित होते है. ऐसे में इन दिनों को अपने पूर्वजों का ऋण यानी कर्ज उतारने के लिए अच्छा माना जाता है. इसके अलावा कहा भी जाता है कि पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर धरती पर अपने घर-परिवार के लोगों को आशीर्वाद देने आते हैं और इसलिए पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता है, जिसमें किया गया पिंड दान सीधे सीधे उन तक पहुंचता है.
इसके अलावा हममे से कई लोग ऐसे भी होते है जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है यानी की वो पितृ दोष से पीडित होते हैं. इस दोष से छुटकारा पाने के लिए भी हर साल पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किए जाते हैं. कहते है कि जो लोग पितृ पक्ष में अपने पितरो के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कार्य नहीं करते हैं उन्हें अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अगर आप भी अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लेना चाहते है, और चाहते है की उनकी कृपा हमेशा आप पर रहे और वो आपका सही गलत में मार्ग दर्शन करें, तो आप भी इन खास दिनों में श्रद्धापूर्वक उनके लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जरूर करें.
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