Ramcharitmanas vivad: हिंदू धर्म में रामचरितमानस को एक पवित्र ग्रंथ का दर्जा दिया गया है. रामचरितमानस जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचित किया है. इसमें भगवान श्री राम के जीवन चरित्र को श्लोकों और चौपाइयों के माध्यम से दर्शाया गया है.
इतना ही नहीं रामचरितमानस का पाठ करने पर व्यक्ति को अनेकों ज्योतिष और धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, यही कारण है कि विभिन्न धार्मिक अवसरों पर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है,
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लेकिन अभी बीते कुछ दिनों पहले यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर उंगली उठाई गई थी, इस कारण काफी बवाल मचा हुआ है.
ऐसे में हमारे आज के इस लेख में आपको रामचरितमानस की चौपाइयों का सही अर्थ बताएंगे, जिनके बारे में उपरोक्त व्यक्तियों ने समाज के सामने अलग तरीके से परिभाषित किया है. चलिए जानते हैं…

रामचरितमानस की किन चौपाइयों पर छिड़ी है जंग
जैसा की विधित है कि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में करीब 7 कांड हैं, जिनमें बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड मौजूद है. ऐसे में मंत्रियों ने रामचरितमानस के जिस कांड पर उंगली उठाई है, वह उत्तरकांड में मौजूद चौपाइयां हैं. जो कि निम्न प्रकार हैं…
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्ही
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।।
उपरोक्त चौपाई में तुलसीदास जी ने समझाया है कि हे प्रभु आपने मुझे जो भी शिक्षा दी है, वह सब आपके द्वारा सिखाई हुई है. ऐसे में ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री इन सबको समझने से पहले भी आपको बेहद सूझबूझ की आवश्यकता होती है. लेकिन कुछ लोगों ने इसको गलत तरीके से समाज के सामने प्रस्तुत किया.
पूजहि विप्र सकल गुण हीना,
पूजहि न शूद्र गुण ज्ञान प्रवीणा।।
उपरोक्त दूसरी चौपाई के मुताबिक, यहां तुलसीदास जी ने ऐसे व्यक्ति को ब्राह्मण और पूजनीय कहा है, जोकि ब्रह्म को जान लेता है. जबकि दूसरी और जो व्यक्ति केवल पाखंड और पांडित्य का दिखावा करता है, ऐसे लोगों का बहिष्कार करने की बात कही है. लेकिन निकालने वालों ने इसको अर्थ शुद्र और ब्राह्मण के अंतर को दिखाते हुए निकाला है.