Ravivar vrat katha: इस कथा के बिना अधूरा है रविवार का व्रत, सूर्य देव का भी मिलेगा आशीर्वाद

 
Ravivar vrat katha: इस कथा के बिना अधूरा है रविवार का व्रत, सूर्य देव का भी मिलेगा आशीर्वाद

Ravivar vrat katha: हिंदू धर्म में हर दिन की अपनी मान्यता है. इसलिए हर दिन कोई ना कोई व्रत भी रखा जाता है. इसी कड़ी में रविवार का व्रत भी रखा जाता है लेकिन रविवार के व्रत से जुड़ी कथा बहुत कम लोगों को पता होगी. तो आइए आज आपको बताते हैं रविवार व्रत कथा (Ravivar vrat katha) और उसकी महिमा के बारे में.

रविवार व्रत कथा (Ravivar vrat katha)

एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही साधू और भक्तिमय पुरुष रहते थे. उनका नाम था धर्मदत्त. वह सभी लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते थे. धर्मदत्त रविवार का व्रत (Ravivar vrat katha) किया करते थे. एक दिन गांव के एक युवक ने धर्मदत्त जी से पूछा कि वह रविवार को व्रत क्यों करते हैं और इसका क्या महत्व है.

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धर्मदत्त जी ने उसे एक कथा सुनाई कि बहुत समय पहले, एक राजा अपने राज्य में बहुत ही खुशहाल थे. वे धर्मप्रिय और न्यायप्रिय राजा थे. एक बार उन्होंने अपने दरबार में यह निर्णय लिया कि उनके राज्य में रविवार को एक व्रत आयोजित किया जाएगा. सभी लोगों ने भक्तिभाव से रविवार का व्रत किया और भगवान की पूजा की.

धर्मदत्त ने भी उस व्रत में शिरकत की. धर्मदत्त जी ने भगवान की भक्ति में अपना समय बिताया. कुछ वर्षों बाद, राजा की पुत्री बहुत बीमार पड़ गई और उसका इलाज कराने के बावजूद उसकी स्थिति गंभीर हो गई. वैध ने कहा कि राजा की पुत्री की ज़िंदगी की आशा कम है.

राजा बहुत चिंतित हो गए और उन्होंने अपना दरबार बुलाया और सभी को बताया कि वे बहुत ही चिंतित हैं. इस पर धर्मदत्त ने उसे एक सुझाव दिया कि वह रविवार के व्रत (Ravivar vrat katha) में अधिक समय और श्रद्धा से भगवान की पूजा करे और उससे देवी की कृपा मांगे.

राजा ने धर्मदत्त की सलाह मानी और प्रतिवर्ष रविवार को व्रत रखा और अपनी पुत्री के लिए भगवान से प्रार्थना की. धीरे-धीरे पुत्री की स्थिति सुधरने लगी और वह पुनः स्वस्थ्य हो गई. राजा बहुत खुश हुए और उन्होंने धर्मदत्त को धन्यवाद दिया.

इस कथा से स्पष्ट होता है कि रविवार के व्रत का पालन करने से मनुष्य की इच्छाएं पूरी होती हैं. रविवार व्रत करने से भगवान की कृपा मिलती है और जीवन की समस्याओं का समाधान होता है. इस तरह रविवार व्रत कथा भक्ति, श्रद्धा, और आस्था को प्रशस्त करती है और व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने में मदद करती है.

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