Saraswati Chalisa Lyrics: माता सरस्वती के इस पाठ का जाप करने से हर कष्ट होगा दूर, मिलेगी मनचाही तरक्की

 
Saraswati Chalisa Lyrics: माता सरस्वती के इस पाठ का जाप करने से हर कष्ट होगा दूर, मिलेगी मनचाही तरक्की

Saraswati Chalisa Lyrics: हिंदू धर्म में ज्ञान और बुद्धि की देवी के तौर पर माता सरस्वती की आराधना की जाती है. माता सरस्वती को ज्ञान की प्रतिमूर्ति कहा जाता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में माता सरस्वती का विशेष स्थान है. जिनकी वंदना को लेकर कई एक नियम बताए गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति नित्य तौर पर सरस्वती माता की आराधना करता है, माता सरस्वती उसे जीवन में सफलता और ज्ञान की प्राप्ति कराती हैं.

ऐसे में यदि आप भी देवी माता का आशीर्वाद होना चाहते हैं, और ऐसा चाहते हैं कि माता सरस्वती की कृपा से आपके सारे काम बनते रहें. साथ ही विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति हो, और आपको कार्य क्षेत्र में मुनाफा मिले, इसके लिए आपको नियमित तौर पर सरस्वती माता के पाठ का जाप करना चाहिए. जिसे करने से आपकी कुंडली में मौजूद बुध अच्छी स्थिति में आता है, और आपको जीवन में ऐश्वर्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. तो चलिए जानते हैं…

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Saraswati Chalisa Lyrics: माता सरस्वती के इस पाठ का जाप करने से हर कष्ट होगा दूर, मिलेगी मनचाही तरक्की

यहां पढ़ें सरस्वती चालीसा का पाठ

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥

Saraswati Chalisa Lyrics: माता सरस्वती के इस पाठ का जाप करने से हर कष्ट होगा दूर, मिलेगी मनचाही तरक्की

पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी॥

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॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदात

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