Sawan 2022: आखिर क्यों शिवजी को इतना प्रिय है बेलपत्र? पीछे छुपा है ये राज…
Sawan 2022: आने वाले कुछ दिनों में सावन का महीना शुरू होने वाला है. इस महीने में शिव भक्त भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए विधि विधान से उनकी आराधना करते हैं. साथ ही सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत का पालन करते हैं. यही कारण है कि शिव जी के सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
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ताकि इस महीने शिव जी को खुश करके उनसे मनचाहा आशीर्वाद पा सके. शिव जी को खुश करने के लिए कई सारे शिवजी को बेलपत्र का बेलपत्र अर्पित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है? यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं..
आखिर शिव जी को क्यों इतना प्रिय है बेलपत्र?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त शिव जी को यह शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है. शिवजी उसके सारे दुखों को कर देते हैं. साथ ही सदैव अपनी कृपा दृष्टि उन पर बनाए रखते हैं. मान्यताओं के अनुसार पत्र की तीनों पत्तियां जो कि एक साथ जुड़ी होती है, माना जाता है उसके मूल भाग में सभी तीर्थ बसे हुए हैं.
यानी बेलपत्र के गुच्छे के मूल भाग में तीर्थों का वास है. जिस कारण शिवजी की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है. जो भी व्यक्ति अपनी अनामिका अंगूठे और मध्यमा उंगली से पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाता है. शिवजी सदैव संकटों से रक्षा करते हैं.
शिव पूजा के दौरान कभी भी बेलपत्र को खाली अर्पित नहीं करना चाहिए, सदैव धारा के साथ बेल पत्र को चढ़ाना चाहिए.
अमावस्या, अष्टमी, नवमी, संक्रांति, चतुर्थी और चतुर्दशी के दिन बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए. यहां तक कि सोमवार के दिन भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए.
बेलपत्र की सदैव तीन पत्तियां ही शिवजी को अर्पित करें. इस दौरान बीच वाली पत्ती को कर ही शिव जी की शिव जी पर चढ़ाएं.
जिन लड़के लड़कियों के विवाह में देरी हो रही है, उन्हें शिव जी का शिवलिंग पर 108 बेलपत्र पर चंदन से राम का नाम लिखें, और ओम नमः शिवाय कहते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं, इससे उन्हें अवश्य लाभ होगा.
अगर आप किसी गंभीर बीमारी का शिकार हैं तो 108 दिन पत्रों पर चंदन का इत्र लगाएं. और ओम जू स: मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की आराधना करें.
तो इस तरह से बेलपत्र है इतना महत्वकारी?
हिंदू धर्म के स्कंद पुराण के मुताबिक, एक बार जब माता पार्वती को काफी पसीना आ रहा था. तब अपने ललाट से पसीने की बूंदों को पोंछकर जमीन पर टपका दिया. ऐसे में जब पसीने की कुछ बूंद मंदार पर्वत पर गिरी, तो उसी से बेलपत्र का पेड़ अस्तित्व में आया. तभी से शिवजी की पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल किया जाता है. बेलपत्र की शाखाओं में दक्षायायनि, जबकि तने में महेश्वरी, पत्तियों में माता पार्वती, फूलों में माता गौरी और जड़ में का वास माना गया है. इसीलिए भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र को अर्पित किया जाता है.