Shamshan Ghat: हिंदू धर्म में कई सारे ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन सदियों से होता रहा है. इसी तरह से श्मशान घाट पर किसी भी पार्थिव शरीर का दाह संस्कार पुरुषों द्वारा किया जाता है. इतना ही नहीं किसी मृत व्यक्ति को कंधा देने के लिए भी चार पुरुषों को ही आगे रखा जाता है. साथ ही श्मशान घाट पर भी केवल पुरुष ही जाते हैं, ऐसे में आपके भी मन में हमेशा यह सवाल उठता होगा, कि आखिर श्मशान घाट पर महिलाएं क्यों नहीं जाती? ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं.

श्मशान घाट के अंदर क्यों नहीं जाती है महिलाएं?
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए श्मशान घाट जाया जाता है, तब घर की साफ सफाई का काम महिलाओं द्वारा किया जाता है. कहा जाता है इस वजह से भी महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती.
अन्य मान्यताओं के अनुसार महिलाएं दिल से काफी कमजोर होती हैं, ऐसे में जब महिलाएं किसी व्यक्ति को अग्नि में जलते हुए देखती है, तो इसका उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, इस कारण भी श्मशान घाट में महिलाएं नहीं जाती.

वास्तु के मुताबिक महिलाओं के लंबे केश भी श्मशान घाट ना जाने के कारणों में से एक हैं. महिलाओं को श्मशान घाट इसलिए नहीं ले जाया जाता, क्योंकि खुले बालों में भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों के साये का खतरा बना रहता है, इसलिए महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती.
ऐसे में जब महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती और ना ही वह मुंडन करा सकती हैं, इस कारण उनके द्वारा किसी के शव को अग्नि भी नहीं दी जाती. कहा जाता है यदि कोई लड़की या महिला किसी व्यक्ति के शव को अग्नि देती है,
ये भी पढ़ें:- क्या वास्तव में कुत्ते का रोना होता है अपशकुन? जानिए सच्चाई…
तो ऐसा कहा जाता है कि उस व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है. यही कारण है कि महिलाएं श्मशान घाट जाकर पार्थिव शरीर को अग्नि नहीं देती.