Shardiya Navratri 2022: कब से और क्यों मनाया जा रहा है नवरात्रि का त्योहार? श्री राम से जुड़ी है सालों पुरानी ये परंपरा
Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म के पवित्र त्योहारों में से एक है. जिसमें लोग देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. इन नौ दिनों के नवरात्रों में देवी माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है.
इस वर्ष भी अपने भक्तों के सभी दुःख-दर्द दूर करने के लिए माता रानी 26 सितंबर से घर-घर पधार चुकी हैं. 26 सितंबर से नवरात्रि 4 अक्टूबर तक रहेंगी. इसके बाद भारत में विजयादशमी 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी. दरअसल, नवरात्रों में माता रानी का ध्यान व उपासना करने से आपको माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
वहीं नवरात्रि में पूजा पाठ करने के कई विशेष नियम भी हैं. जिनमें से एक विशेष नियम व्रत रखने का भी है. नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत रखने का अपना एक विशेष महत्व है.
लेकिन क्या आप जानते हैं नवरात्रि में व्रत रखने का शुभ आरंभ कैसे हुआ?
दरअसल हिंदू शास्त्रों में हर अनुष्ठान के पीछे किसी ना किसी कथा का सार छिपा हुआ है. नवरात्रि में उपवास रखने की प्रथा की शुरुआत दरअसल रामायण काल से ही हो गई थी. इस बात का प्रमाण देवी भागवत पुराण देती है.
जिसके अनुसार उस समय भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पूर्व सर्वप्रथम दुर्गा मां के 9 दिनों तक उपवास रखे थे. उनके उपवास से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान राम को दुर्गा मां ने विजय होने का आशीर्वाद दिया था.
नारद श्री के सुझाव से शुरू हुआ नवरात्रि व्रत
देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब भगवान श्री राम सीता हरण के दुख से बेहद कमजोर पड़ गए थे. तब महर्षि नारद जी ने उन्हें जीत प्राप्ति के लिए दुर्गा माता के नौ दिन तक व्रत रखने का अनुष्ठान बताया.
उनके सुझाव से सहमत होकर भगवान राम ने दुर्गा माता के नौ दिनों तक व्रत रखें जो नवरात्रि के पर्व के रूप में हिन्दू धर्म में विख्यात हुए.
नारद मुनि के दिशा-निर्देशों पर तैयार हुए नवरात्रि व्रत नियम
नवरात्रि के व्रत नारद मुनि के सुझाव अनुसार राम जी द्वारा रखे गए. नौ दिनों तक पूजा अर्चना का पूरा अनुष्ठान राम जी द्वारा किया गया. जब भगवान राम ने समस्त विधि विधान से नौ दिन व रात दुर्गा माता की पूजा-अर्चना व व्रत परायण किया.
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तब अष्टमी की रात में भगवान राम और लक्ष्मण जी को दुर्गा माता ने अपने दर्शन दिए और उनकी विजय का वरदान दिया. दुर्गा माता के वरदान स्वरूप दशमी के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया तथा माता सीता को लंका से मुक्ति दिलाई.