Shiv Avtar: केवल हनुमान ही नहीं, बल्कि शिव जी ने भी लिया था पंचमुखी अवतार, जानिए क्यों और कैसे…
Shiv Avtar: हिंदू धर्म में शिव जी को प्रमुख देव के तौर पर पूजा जाता है. जिन्हें भक्तों को मनचाहा वरदान देने के लिए जाना जाता है. समस्त देवी-देवताओं में शिव जी एकमात्र ऐसे देव है, जिनकी पूजा ना केवल इंसान बल्कि, देवता और असुर भी करते हैं. शिव जी को त्रिदेवों में सृष्टि के संचालन का कार्य़भार सौंपा गया है, जोकि सृष्टि की रचना के लिए जाने जाते हैं. हमने अक्सर पढ़ा है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब देवी देवता अवतार लेते हैं.
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लेकिन शिव जी ने भी एक अन्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए पंचानन अवतार लिया था. भोलेनाथ के इस अवतार में शिव जी के पांच मुख प्रकृति के पांच तत्वों जैसे जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी का नेतृत्व करते हैं. यही कारण है कि शंकर जी का ये अवतार पंचमुखी के नाम से जाना जाता है, जिसको धारण करने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. हमारे आज के इस लेख में हम आपको शिव जी के इसी पंचानन अवतार के बारे में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…
आखिर शिव जी ने क्यों पंचमुखी अवतार…
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव जी ने पंचमुखी अवतार जगत के पालनहार भगवान विष्णु के मनोहर किशोर अवतार के दर्शन करने के लिए किया था. जी हां, विष्णु जी के इस अवतार के दर्शन के लिए प्रत्येक देवी देवताओं के पास पंचमुखी, चतुरानन और बहुमुख वाले देवता पहुंचे थे. जिसके बाद शिव जी ने भी पंचमुखी रूप धारण किया था. शिव जी का ये रूप चारों दिशाओं और मध्य में एक दिशा को दर्शाता है.
जिनका पहला मुख पश्चिम दिशा में विद्यमान है, जिसे सद्योजात कहा जाता है. जोकि किसी स्वच्छ औऱ शुद्ध बालक का प्रतीक माना जाता है. जबकि शिव जी के पंचानन अवतार का दूसरा मुख उत्तर दिशा में वामदेव है, जोकि बुरी शाक्तियों का नाश करता है. जबकि तीसरा मुख दक्षिण में अघोर है, जोकि कर्मों के शुद्धिकरण को दर्शाता है.
चौथा मुख शिव जी का पूर्व दिशा में विद्यमान तत्पुरूष है जोकि आत्मा की स्थिरता को बतलाता है और अंतिम पांचवां ईशान कोण को दर्शाता है. शिव जी के पंचानन रूप के तीन नेत्र है, यही कारण है कि शिव जी को त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है. इस प्रकार,भगवान विष्णु के किशोर रूप के दर्शन करने के लिए शिव जी ने पंचमुखी अवतार लिया था.