Shiv ji or nandi: आखिर शिवलिंग के सामने ही क्यों विराजित होते हैं नंदी? जानिए…
Shiv ji or nandi: देवों के देव महादेव हिंदू धर्म के प्रमुख देव है. जिनकी सोमवार के दिन पूजा की जाती है. ऐसे में यदि आप भी भोलेनाथ के भक्त है, और सदा भोलेनाथ की प्रतिरूप शिवलिंग की पूजा करते हैं. तो आपका ये जानना अति आवश्यक है कि आखिर क्यों शिवलिंग के सामने ही सदा नंदी बैल स्थापित होते हैं. क्योंकि आपने अक्सर देखा होगा कि जहां भी शिवलिंग होती है, उसके आसपास या सामने की ओर सदा नंदी बैल की प्रतिमा मौजूद होती है. लेकिन अगर आपको भी इसके धार्मिक महत्व की जानकारी नहीं है, तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी रहस्य के बारे में बताने वाले हैं, कि आखिर क्यों शिवलिंग के सामने नंदी बैल विराजित होते हैं?
तो इस वजह से शिवलिंग के सामने मौजूद होते हैं नंदी...
धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार एक शिलाद मुनि थे. जिन्होंने जीवनपर्यंत ब्रह्मचारी होने की प्रतिज्ञा ली थी. ऐसे में वंश हीनता के चलते उन्होंने अपनी ये समस्या अपने पूर्वजों से कही. जिस पर उनके पूर्वजों ने उन्हें इंद्र देव की उपासना करने को कहा. उसके बाद शिलाद मुनि ने इंद्र देव की आराधना करके एक ऐसे पुत्र की कामना की, जोकि जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो.
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शिलाद मुनि की तपस्या पूर्ण होने के बाद जब इंद्र देव ने उन्हें दर्शन दिए. तब उन्होंने शिलाद मुनि से कहा कि वे ये वरदान देने में असमर्थ है, लेकिन शिव जी उन्हें ये वरदान दे सकते हैं. जिसके बाद शिलाद मुनि ने शिव जी की सच्चे मन से भक्ति की. जिसके बाद शिव जी ने शिलाद मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें नंदी नामक पुत्र दिया. जोकि अजर अमर हैं और जिनपर भगवान शिव की विशेष कृपा है.
शिव जी ने समस्त गणों के सामने नंदी का अभिषेक करवाया, जिसके बाद ही नंदी नंदीश्वर कहलाए. नंदी का विवाह मरूतों की पुत्री सुयशा से हुआ है. और नंदी जी को शिव जी ने ये वरदान दिया था कि जहां-जहां नंदी होंगे, वहां शिव जी के शिवलिंग जरूर मौजूद होंगे. यही कारण है कि शिवलिंग के सामने या गर्भगृह के बाहर नंदी को स्थापित किया जाता है.
शिवलिंग के सामने विराजित नंदी देते हैं ये संदेश…
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी बैल जोकि मेहनत का प्रतीक माने गए हैं, वे भगवान शिव जी की सवारी हैं. जिस कारण शिवलिंग के आसपास सदैव ही नंदी बैल विराजित होते हैं. क्योंकि जिस तरह से हमारी आत्मा हमारे शरीर का वाहन होती है, और सदैव हम पर अपनी दृष्टि रखती है. ठीक उसी तरह से नंदी बैल भी शिव जी के सामने मौजूद होकर ये संदेश देते हैं, कि व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे दोनों ही कर्मों के प्रति समान नजर रखनी चाहिए.
जिससे ही व्यक्ति एक श्रेष्ठ पुरुष बन पाता है. साथ ही जब व्यक्ति के शरीर का ध्यान उसकी आत्मा की ओर होता है. तब ही वह मानसिक और व्यावहारिक तौर पर अपने गुण दोषों का पता लगा पाता है. ताकि वह दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करके एक श्रेष्ठ व्यक्ति बन सके. शिवलिंग के सामने मौजूद नंदी बैल मनुष्यों को ये संदेश देते हैं कि व्यक्ति को भोलेनाथ की भांति सदा परोपकार और जनहित के कार्यों में अपना योगदान देना चाहिए.