Shiva Rudraksha: भगवान शिव का क्या है रुद्राक्ष से संबंध, जानें ये अनोखा रहस्य
Shiva Rudraksha: रुद्राक्ष जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है शिव का नेत्र. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के नेत्रों की आंसुऐं धरती पर जहां जहां गिरी उस स्थान पर रुद्राक्ष का पौधा उग गया.यही कारण है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है. इसलिए रुद्राक्ष धारण कर शिव की आराधना करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.
महादेव का रुद्राक्ष धारण करने की परंपरागत मान्यता है. इसे शिव भक्ति और आध्यात्मिक साधना के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह माना जाता है कि रुद्राक्ष (Shiva Rudraksha) मानसिक-शारीरिक स्थिरता को प्रदान करता है, साथ ही विचारशक्ति को बढ़ाता है, विपत्तियों से बचाता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है.
कैसे हुई रुद्राक्ष (Shiva Rudraksha) की उत्पत्ति
रुद्राक्ष का उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं मिलती हैं. एक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने अपने आंसू के कारण पृथ्वी पर रोना शुरू किया तो वनवासी देवी सती के दृष्टिकोण में आईं और उन्हें शांति दिलाने के लिए एक विशेष पेड़ का उपयोग किया.
वह पेड़ बाद में रुद्राक्ष पेड़ के रूप में जाना गया. इस प्रकार, रुद्राक्ष (Shiva Rudraksha) को भगवान शिव के आंसू से जन्म मिला है. साथ ही एक और पौराणिक ग्रंथ के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसू से हुई .
भगवान महादेव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बेहद ही शुभ माना गया है.देवी भागवत पुराण के मुताबिक़ त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस ऋषि-मुनियों और देवताओं को काफी प्रताड़ित करता था. त्रिपुरासुर के आतंक को खत्म करने के लिए सभी देवता भगवान शिव के पास गए.
उनकी पीड़ा को जानकर भोलेनाथ योग निद्रा में लीन हो गए और फिर जब उन्होंने अपना नेत्र खोला तो उनकी आंखों से आंसू की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की उन्ही आंसुओं की बूंदों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई.
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