Shukrwar vrat: देवी लक्ष्मी की बरेसगी कृपा, केवल इस तरह से कीजिए व्रत का पालन और कीजिए मंत्र का उच्चारण…जानिए पूजा विधि और कथा
Shukrwar vrat: शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और माता संतोषी के व्रत का दिन है. इस दिन महिलाएं खासकर कुंवारी कन्याएं संतोषी माता और देवी लक्ष्मी का व्रत धारण करती है, और उनसे मंगल कामना करती हैं.
देवी लक्ष्मी अपने उन भक्तों पर सदा ही अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं, जो सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं. देवी लक्ष्मी धन, सौभाग्य और समृद्धि की सूचक हैं.
ऐसे में यदि आप अपने जीवन में इन सबको पाना चाहते हैं, तो पूरी श्रद्धा और मन से शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की आराधना करें. आज के दिन किसी भी कन्या, किन्नर या महिला का अपमान ना करें, हो सके तो आज के दिन कन्या या किसी गरीब महिला को अन्न, वस्त्र या श्रृंगार का सामान दान करें.
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इससे भी माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है. इसके अलावा, यदि आपकी कुंडली में शुक्र सही स्थिति में नहीं है, तो आज के दिन देवी लक्ष्मी की विधि विधान से आराधना करके शुक्र के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है. साथ ही जीवन में सुख और शांति स्थापित की जा सकती है.
आगे हम अब शुक्रवार का मंत्र, व्रत विधि और कथा पढ़ेंगे.
शुक्रवार का मंत्र
शुक्रवार के दिन इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को लाभ मिलता है.
ॐ श्रीं श्रीये नम:।।
ॐ द्रा द्री द्रौं शुक्राय नम:।।
यहां पढ़िए शुक्रवार की पूजा विधि
- सुबह स्नान आदि से निवृत होकर आपको आज लाल वस्त्र के कपड़े धारण करने चाहिए. स्नान के दौरान आपको मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
- उसके बाद देवी लक्ष्मी के कमल पर विराजमान एक तस्वीर को मंदिर में साफ करके रखें. उसके बाद देवी माता पर लाल रंग के पुष्प (कमल या गुलाब) और एक रुपए का सिक्का अर्पित करें.
- आज के दिन माता लक्ष्मी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. हो सके तो लाल सिंदूर, लाल चूड़ियां और बिंदी चढ़ाकर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करें. आज के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए.
- माता लक्ष्मी की पूजा की थाली में खीर, मखाना, बताशा, शंख, फूल, धूप, दीपक, रोली, चावल आदि रखें. इसके अलावा आप देवी माता को सफेद रंग का प्रसाद या मिष्ठान चढ़ा सकते हैं, देवी मां इससे काफी प्रसन्न होती हैं.
- शुक्रवार के दिन श्री लक्ष्मी नारायण का पाठ या श्री सूक्त का पाठ अवश्य करना चाहिए. साथ ही शुक्रवार के मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए.
- अगर आपने आज के दिन व्रत रखा है, तो करीब 21 दिनों से तक आपको कन्याओं को भोग लगाना है, ऐसा करने पर आपसे देवी मां बहुत प्रसन्न होती है. हो सके तो आज के दिन कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करें, और उन्हें अन्न और पीले वस्त्र दान करके विदा करें, ऐसा करने से माता की कृपा बनी रहती है.
- देवी माता की आरती करते समय दो लौंग, और चार कपूर लें. कपूर जलाने के बाद उस पर लौंग रख दें. इसके बाद ही आरती आरंभ करें.
- आप माता लक्ष्मी के सामने दीपक जलाने से पहले उसमें कलावा डाल दें, ऐसा करने से देवी मां की कृपा मिलती है.
- आज के दिन कमल के गट्टे से भी देवी मां का जाप या पूजा करें, इससे आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है.
- आज के दिन यदि आप व्रत रखें, तो व्रत पराण के पश्चात खीर या हलवा का सेवन कर सकते हैं. आज के दिन खट्टी चीज़ों के सेवन से बचें.
यहां पढ़िए शुक्रवार की कथा
प्राचीन समय में एक बूढ़ी औरत अपने बेटे और बहू के साथ रहा करती थी. वह बूढ़ी औरत अपनी बहू पर बहुत अत्याचार किया करती थी. उस बूढ़ी औरत का बेटा चुपचाप अपनी मां का अत्याचार देखता रहता था, वह उनसे कभी कुछ कह नहीं पाता था.
एक बार उसके बेटे ने परदेस जाने की बात कही. जिस पर मां बहुत प्रसन्न हो गई. बेटे के जाने के बाद ही वह बूढ़ी औरत अपनी बहू पर और अधिक अत्याचार करने लगी. उधर, बहू जब अपनी सास के अत्याचारों से परेशान हो गई. तब उसने संतोषी माता के व्रत का पालन करने की सोची.
उसने मंदिर में कुछ महिलाओं को संतोषी माता का व्रत रखते देखा था. देवी मां के व्रत का अच्छे से पालन करने के पश्चात् उसके पास अपने पति की चिट्ठी आई. कि अब हमारे पास बहुत सारा पैसा हो गया है और मैं जल्द ही वापिस आने वाला हूं.
इसके बाद जब बूढ़ी औरत का बेटा परदेस से वापिस आया, तो उसकी बहू ने उससे माता संतोषी के उद्यापन के लिए रुपए मांगे. लेकिन आसपास की स्त्रियां उसकी बहू से जलने लगी. जिस पर उन्होंने बच्चों को उसके घर ये सिखाकर भेजा कि तुम उससे खाने के दौरान खटाई मांगना.
ऐसे में बच्चों के जिद करने पर जब उसकी बहू ने खटाई दे दी. तभी संतोषी माता उससे रूठ गई. और उसके पति को पुलिस पकड़कर ले गई. जिसके बाद दुबारा उसकी बहू ने माता संतोषी के व्रत का विधि विधान से पालन किया और उद्यापन का संकल्प लिया.
तब माता संतोषी की कृपा से बहू, बेटा और सास सुखी सुखी अपना जीवन बसर करने लगे और बेटे, बहू को एक सुंदर से पुत्र की प्राप्ति भी हुई.