Surya Grahan story: जाने क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है इसका ज्योतिष शास्त्र से संबंध?

 
Surya Grahan story: जाने क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है इसका ज्योतिष शास्त्र से संबंध?

Surya Grahan story: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को काफी विशेष माना गया है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ग्रहण की घटना काफी रोचक होती है. इस बार साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल के दिन लगने जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल का सूर्य ग्रहण पिछले 100 सालों में सबसे बेहतर रहने वाला है. मान्यताओं के अनुसार इस साल का सूर्य ग्रहण हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाएगा, जिस कारण यह देखने में काफी आकर्षक होने वाला है.

हालांकि इस बार के सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत में मान्य नहीं होगा, लेकिन फिर भी कुछ एक सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं. परंतु क्या आप जानते हैं कि असल में ग्रहण लगने के पीछे क्या ज्योतिषीय कारण हैं, यदि नहीं तो हमारे आपके इस लेख में हम आपको ग्रहण लगने के पीछे की वजह के बारे में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…

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क्यों लगता है धरती पर सूर्य या ग्रहण?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब 14 रत्न निकले थे. उस दौरान अमृत कलश को पाने के लिए देवता और असुरों में लड़ाई हो गई थी. ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार धारण कर देवताओं और असुरों को बारी-बारी से अमृत करने के लिए कहा.

कहा जाता है उसी दौरान एक स्वर भानु नाम के राक्षस ने अमृत पान के चलते सूर्य और चंद्र देवता के बीच में स्थान ग्रहण कर लिया. ऐसे में जब सूर्य और चंद्र देवता को इस बात की भनक लगी तब उन्होंने भगवान विष्णु को जाकर इसके बारे में बताया.

कहते हैं उसी दौरान भगवान विष्णु ने क्रोध में आकर स्वर भानु नाम के राक्षस को अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया, जिस कारण उसके शरीर के दो टुकड़े हो गए जो कि आगे चलकर राहु केतु कहलाए.

हालांकि तब तक स्वर भानु नाम का राक्षस अमृत का पान कर चुका था, ऐसे में स्वर भानु नाम का राक्षस राहु-केतु के नाम से अमर हो गया, जोकि आज भी सूर्य और चंद्र देवता से दुश्मनी रखता है.

ऐसा माना जाता है कि स्वर भानु नाम का राक्षस ही चंद्रमा और सूर्य को बारी-बारी से निगलता है, जिसे ही चंद्र और सूरज ग्रहण की स्थिति कही जाती है. यही कारण है कि ग्रहण का दिन बेहद खराब माना गया है.

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