Surya namaskar: रहना चाहते हैं निरोग तो करें सूर्य नमस्कार, जानें संपूर्ण विधि

 
Surya namaskar: रहना चाहते हैं निरोग तो करें सूर्य नमस्कार, जानें संपूर्ण विधि

Surya namaskar: सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगासन प्रक्रिया है, जिसे सूर्य की पूजा और सम्मान के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सूर्य नमस्कार बहुत ज़रूरी प्रक्रिया है. कहते हैं कि इसे करने से शरीर निरोग रहता है. और मानसिक तौर पर भी सुकून मिलता है. लेकिन सूर्य नमस्कार करने

Surya namaskar: सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगासन प्रक्रिया है, जिसे सूर्य की पूजा और सम्मान के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सूर्य नमस्कार बहुत ज़रूरी प्रक्रिया है. कहते हैं कि इसे करने से शरीर निरोग रहता है. और मानसिक तौर पर भी सुकून मिलता है. लेकिन सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) करने से पहले उसकी विधि जानना बहुत ज़रूरी है.

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सूर्य नमस्कार (Surya namaskar) कैसे करें?

1. सबसे पहले मैट पर सुखासन में बैठ जायें फिर अपने पैरों को सीधा और साथ में रखें. हाथों को आपके जोड़ लें और शांत बैठने की कोशिश करें.

2. उसके बाद आंखें बंद करें और नाक से संग्रहित करें. फिर नाक से दम लें और नाक छोड़ें. इसे कपालभाति कहा जाता है और इसे 10-15 बार करें.

3. प्राणायाम के बाद अपने बाएं पैर को पिछले के लिए जमीन पर रखें और उच्च नमस्कार के रूप में अपने दोनों हाथों को उठाएं. अब अपने दाएं पैर को भी पीछे लाएं और सिर को उच्च उठाएं, जिसे शीर्षासन कहते हैं इसे 5-10 बार दोहराएं.

4. इसके बाद प्रस्थासन नमस्कार करें. अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे लाएं और अपने कमर को आरोही रूप से बाहर करें. इसे हठयोगी नमस्कार भी कहा जाता है। इसे 5 से 10 बार करें.

5. हठयोगी नमस्कार के बाद उत्तानासन: करें. अपने दोनों हाथों को सीधे रखें और आरोही रूप से उठें, इसे विश्रामासन कहा जाता है.

6. विश्रामासन के बाद विरभद्रासन: करें. जिसने अपने बाएं पैर को आगे रखें, जबकि अपने दाएं पैर को पीछे लाएं और अपने बांहों को सीधा रखें. इसे शांतिस्थान कहा जाता है.

7. अब फिर प्राणायाम: करें और सीधे खड़े हो जाएँ और आंखें बंद करें. धीरे-धीरे सांस लें और उसे गहराई से छोड़ें, इसे अनुलोम-विलोम प्राणायाम कहते हैं इसे 10 से 15 बार करें.

8. उसके बाद सबसे अंत में शवासन: सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) की प्रक्रिया को शवासन के रूप में समाप्त करें. अगर आप पहली बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर रहे हैं तो इसे किसी अनुभवी की देखरेख में ही करना उचित होगा.

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