Mata Tulsi के जन्म की अनोखी कहानी, जानिए कैसे हुई अवतरित?
सनातन धर्म में माता तुलसी जी को देवी रूप में पूजा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार तुलसी जी की उत्पत्ति तब हुई जब दैत्यराज जालंधर के साथ भगवान विष्णु को युद्ध करना पड़ा. काफी दिन तक चले संघर्ष में भगवान के सभी प्रयासों के बाद भी जालंधर परास्त नहीं हुआ.
माता तुलसी के जन्म की कहानी
अपनी इस विफलता पर श्री हरि ने विचार किया कि यह दैत्य आखिर मारा क्यों नहीं जा रहा है. तब पता चला की दैत्यराज की रूपवती पत्नी वृंदा का तप बल ही उसकी मृत्यु में अवरोधक बना हुआ है. जब तक उसके तप बल का क्षय नहीं होगा तब तक राक्षस को परास्त नहीं किया जा सकता. इस कारण भगवान ने जालंधर का रूप धारण किया व तपस्विनी वृंदा की तपस्या के साथ ही उसके सतीत्व को भी भंग कर दिया. इस कार्य में प्रभु ने छल व कपट दोनों का प्रयोग किया.
इसी कारण वृंदा ने भगवान को श्राप दिया कि वह पत्थर के हो जाएंगे. इसी श्राप के बाद श्री हरी ने वृंदा को वरदान दिया की तुम वृक्ष बनकर मुझे छाया प्रदान करना. इसके बाद भगवान विष्णु शालिग्राम बन गए और वृंदा तुलसी जी के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुई. इस प्रकार से कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी–शालिग्राम की उत्पत्ति हुई.
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