गायत्री मंत्र को क्यों कहा जाता है महामंत्र? जानिए महत्व…

 
गायत्री मंत्र को क्यों कहा जाता है महामंत्र? जानिए महत्व…

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है .गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में सबसे ऊपर का स्थान इसलिए प्राप्त है, क्योंकि यह हिंदू धर्म के चारों वेदों में प्रथम वेद ऋग्वेद की शुरुआत में प्रयोग किया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मदेव चारों वेदों की रचना कर रहे थे उस समय वेदों की रचना से पूर्व उन्होंने 24 अक्षरों के इस मंत्र की रचना की थी.

गायत्री मंत्र का महत्व

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुवरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्. अर्थात पृथ्वीलोक, भूलोक और स्वलोक में व्याप्त उस सष्टिकता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते है, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें.

WhatsApp Group Join Now

इस मंत्र के निरंतर जाप से मस्तिष्क सकारात्मक ऊर्जा उत्पन करता है. इससे मस्तिष्क की शक्तियां बढ़ जाती है. साथ ही समस्त नकारात्मक शक्तियों को जाप करने वाले से दूर करता है गायत्री मंत्र. इस मंत्र की शक्ति पहचाने के लिए आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है की ऋषि विश्वामित्र ने इस मंत्र के जाप से एक नई सृष्टि का निर्माण कर दिया था.

गायत्री मंत्र में 24 अक्षर है और प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आवाहन होता है. इन 24 अक्षरों में 24 देवताओं का वास है और इन्ही देवताओं की 24 चेतन्य शक्तियां भी है. इस मंत्र के जाप करने से शक्तियों का लाभ और सिद्धियां प्राप्त होती है.

यह भी पढ़ें: जानिए किस प्रकार चन्द्र देव को प्रसन्न किया जा सकता है

Tags

Share this story