सावन में क्यों निकाली जाती है कांवड़ यात्रा? जानिए भगवान शिव के विष ग्रहण की कहानी

 
सावन में क्यों निकाली जाती है कांवड़ यात्रा? जानिए भगवान शिव के विष ग्रहण की कहानी

भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है. इसी कारण से शिव भक्तों के लिए यह महीना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस महीने में भगवान शिव को मनाने के लिए शिव भक्त हमेशा तत्पर रहते हैं. महादेव को उनके भक्त अलग-अलग तरह से प्रसन्न करते है. इन्हीं तरीकों में से एक तरीका है शिवलिंग पर जल अर्पित करना. इसी वजह से शिव भक्त सावन के महीने में कंधे पर कावड़ उठाकर भगवान शिव को गंगा जल अर्पित करने के लिए जाते हैं. जल अर्पित करना शिव भक्तों की एक विशेष परंपरा रही है. पूरे श्रावण मास में कांवडियों की धूम रहती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा सावन के माह में ही क्यों निकाली जाती है? और क्या है कावड़ यात्रा का महत्व.

कांवड़ यात्रा

सावन माह में कांवड़ यात्रा की सभी कहानियां समुद्र मंथन के समय में भगवान शिव के विष ग्रहण करने से जुड़ी हुई है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का सेवन करने के कारण भगवान शिव का शरीर जलने लगा था. तब भगवान शिव के शरीर को ठंडा करने के लिए देवाओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया. जल अर्पित करने के कारण भगवान शंकर के शरीर को ठंडक मिली और उन्हें विष से राहत मिली. इसी मान्यता के चलते श्रावण माह में कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों द्वारा शिवजी को जल अर्पित किया जाता है.

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वहीं एक और पौराणिक कथा के अनुसार, सावन माह में सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ से गंगा का पवित्र जल लाकर भगवान शंकर पर चढ़ाया था. तभी से शिवजी पर सावन के महीने में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी. वहीं कुछ लोगों के अनुसार कावड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार के द्वारा हुई थी.

ऐसा माना जाता है कि जब त्रेतायुग में श्रवण कुमार के माता पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान की इच्छा जाहिर की थी. तब उस समय श्रवण कुमार अपने माता पिता को एक कावड़ में बिठा कर उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर हरिद्वार लाए थे. इसी के साथ उन्होंने यहां उन्हें गंगा स्नान कराया था और गंगाजल भगवान शिव की शिवलिंग पर अर्पित किया था, तभी से शिवजी को सावन में जल अर्पित किया जाता है.

इन्हीं मान्यताओं के चलते श्रावण माह में भगवान शंकर की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. साथ ही भगवान शंकर को खुश करने के लिए शिव भक्तों द्वारा कावड़ यात्रा निकाली जाती है. ताकि अपने भक्तों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहे.

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