महाराष्ट्र: युवक ने बनाया LED बल्ब जो एक लाख घंटे तक करेगा रौशनी, मिला ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट

 
महाराष्ट्र: युवक ने बनाया LED बल्ब जो एक लाख घंटे तक करेगा रौशनी, मिला ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट

दुनिया जानती है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण में भारतीय नौजवानों का कोई सानी नहीं जिस वजह से अमेरिका की प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली में भी भारतीयों का जलवा बरकरार है. वही अब महाराष्ट्र के स्मार्ट विलेज साप्ती के रहने वाले अभिजीत ने भी एक खास उपलब्धि अपने नाम की है. उन्होंने एक ऐसा व्हाइट एलईडी बल्ब बनाया है, जो जानकारी के अनुसार करीब 1 लाख घंटे तक जलेगा. इसके लिए अभिजीत को ऑस्ट्रेलिया में पेटेंट और ग्रांट भी मिला है. खास बात यह है कि उनका बनाया हुआ यह खास बल्ब करीब 4,166 दिनों तक जलेगा.

बतादें इससे पहले उन्हें ब्लू एलईडी के लिए भी पेटेंट मिल चुका है. दोनों ही पेटेंट 8 साल के लिए वैध हैं. दिलचस्प बात यह है कि जिस शोध के लिए तीन जापानी वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया, उसी काम को आगे बढ़ाते हुए अभिजीत ने नवंबर 2020 में ब्लू एलईडी और अब व्हाइट एलईडी के लिए ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट और अंतरराष्ट्रीय अनुदान हासिल किया है.

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अन्य एलईडी की तुलना में सस्ती और टिकाऊ

अभिजीत ने व्हाइट एलईडी के लिए नए मटेरियल का अविष्कार किया है. ये दूसरी एलईडी की तुलना में काफी सस्ती और टिकाऊ है. बतादें साल 2014 में जापान के तीन वैज्ञानिकों इशामु अकासाकी, हिरोशी अमानो और शुजी नाकामुका को विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्होंने ब्लू एलईडी बनया था.

अभिजीत का कहना है कि जो मेटेरियल उन्होंने बनाया है उससे व्हाइट एलईडी काफी लंबी चलती है. वह 1 लाख घंटे और उससे ज्यादा चल सकती है. उनका कहना है कि व्हाइट एलईडी सीएफएल बल्ब की तुलना में 5 गुना ज्यादा बिजली बचाएगी. इससे रोशनी भी ज्यादा होगी.

गौरतलब है अभिजीत के पिछले 18 महीनों में 17 रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं. इस दौरान वे 7 अलग-अलग पेटेंट भी हासिल कर चुके हैं. इसके अलावा 2020 में हुई सेकंड इंटरनेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन रिसेंट ट्रेंड्स इन रिन्यूएबल एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट में उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है.

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