गावस्कर बनाम वेस्टइंडीज किस्सा : बल्लेबाज को वह पिच से ज्यादा दिमाग में आउट करने में विश्वास रखते थे
70-80 के दशक में जहाँ एक ओर वेस्टइंडीज के गेंदबाज अपनी तेज गेंदबाजी से आग उगल रहे थे तो वहीं दूसरी ओर 5 फुट 5 इंच का एक बल्लेबाज उन गेंदबाजों की अपने सामने एक नहीं चलने देता था। नाम सुनील गावस्कर।
सुनील गावस्कर और वेस्ट इंडियन फास्ट बोलिंग का एक रोचक किस्सा:
1983 में भारतीय टीम पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला के लिए वेस्टइंडीज गई हुई थी। पहले दो टेस्ट मैचों में वेस्टइंडीज 1-0 की बढ़त ले चुका था। भारत के स्टार बल्लेबाज सुनील गावस्कर का बल्ला पहले दोनों मैचों में शांत रहा था। तीसरे टेस्ट में वेस्टइंडीज के 470 रन के जवाब में भारतीय टीम बल्लेबाजी कर रही थी। माइकल होल्डिंग ऐंडी रॉबर्ट्स और मैलकम मार्शल से सुसज्जित वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने खेलने के लिए आपको अच्छी टेकनीक के साथ-साथ बहुत सारी हिम्मत की भी जरूरत पड़ती है।
गावस्कर जब 49 के स्कोर पर खेल रहे थे तभी मार्शल की एक बाउंसर आकर सीधे गावस्कर के माथे पर लगी। गेंद इतनी सीधी आकर माथे पर लगी थी कि टकराकर वापस 8-10 फुट गेंदबाज की ओर चली गई। अगर यह सब आज के समय में हुआ होता तो विकेटकीपर, स्लिप, शार्ट लेग से लेकर फाइन लेग तक का फील्डर भी दौड़कर बल्लेबाज की पूछ खबर लेने आता। मगर यह तो 1983 का वेस्टइंडीज टीम थी।
गावस्कर से महज 10 कदम की दूरी पर खड़े शार्ट लेग के फील्डर ने कुछ हरकत तक नहीं दिखाई। यही तो वेस्टइंडीज का गेम प्लान था। बल्लेबाज को वह पिच से ज्यादा दिमाग में आउट करने में विश्वास रखते थे।
मार्शल अपने रन उप पर खड़े थे। उन्हें विश्वास था कि बाउंसर के बाद सुनील बैकफुट पर चले गए होंगे इसीलिए अगली गेंद तेज़ और सीधी फ़ेंककर उनकी पारी का अंत किया जा सकता है।
काम बहुत आसान था, इतने सालों से यह वेस्ट इंडियन तिकड़ी यही काम तो करते आ रही थी। अगली गेंद मार्शल ने पूरी जान लगा कर फेंकी जैसा कि प्लान था। मगर एक चीज जो थोड़ी सी गड़बड़ थी वह यह कि उस बाउंसर के बाद भी गावस्कर पीछे नहीं गए। अपनी जगह पर खड़े रहे। जितनी तेजी से वह गेंद गावस्कर की तरफ आई थी उससे दुगनी तेजी से मार्शल के सामने से निकल कर सीधा बाउंड्री के पार चली गई। गावस्कर 53* नाबाद।
उस शॉट के बाद मिड ऑफ पर खड़े कप्तान क्लाइव लॉयड भी जान गए थे कि गावस्कर का विकेट इतनी आसानी से नहीं मिल पाएगा। मैच ख़त्म होने तक गावस्कर 147 रन बनाकर नाबाद थे।
ऐसे थे सुनील गावस्कर। जिन्होंने कैरेबियाई टीम के खिलाफ 13 शतक लगाए थे। टेस्ट क्रिकेट में 10,000 से अधिक रन, 34 शतक और 51 की औसत वो भी उस समय जब लिली थॉमसन, हैडली, मार्शल, रॉबर्ट्स और इमरान खान जैसे तेज गेंदबाजों की तूती बोला करती थी। सच में लिटिल मास्टर ने विश्व क्रिकेट को बल्लेबाजी की एक नई परिभाषा से रूबरू करवाया।