Tokyo 2020: भारतीय मुक्केबाजों के मुक्के में है दम, पदक आने की रहेगी पूरी उम्मीदें
Tokyo 2020: खेलों के महाकुम्भ यानी की ओलंपिक खेल मे विभिन्न प्रतियोगिताएं और स्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं. लेकिन, मुक्केबाजी एक ऐसा इवेंट है जहाँ शुरू से ही भारत को पदक की आस रहती है. वहां रिंग में भारतीय मुक्केबाज अपने पंचों से विरोधी को चित करते हैं और यहाँ देशवासियों को उनके इस हुनर पर गर्व की अनुभूति होती है.
भारतीय मुक्केबाजी के पोस्टर ब्वॉय विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक दिलाया था. इस स्पर्धा में देश को तब पहला पदक मिला था जिसके बाद से भारतीय मुक्केबाजी का परिदृश्य ही बदल गया. ठीक चार साल बाद छह बार की वर्ल्ड चैंपियन एम.सी मैरीकॉम ने लंदन में एक और पदक भारत की झोली में डाल दिया.
इसबार भी जापान में आयोजित होने जा रही टोक्यो ओलंपिक के लिए भारत से 9 मुक्केबाजों ने क्वालीफाई किया है. रियो में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद टोक्यो 2020 में इतिहास रचने की उम्मीद की जा रही है.
अनुभवी मैरी कॉम का हो सकता है यह आखिरी ओलंपिक
ओलंपिक में भारत को पदक दिलाने वाली पहली महिला मुक्केबाज एम.सी मैरी कॉम टोक्यो में दूसरा पदक जीतकर नया इतिहास कायम कर सकती हैं. मैरी कॉम का हालिया प्रदर्शन सराहनीय रहा है. उन्होंने इस बार एशियाई खेलों में दो स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया. इससे पहले वह राष्ट्रमंडल खेलों में भी चैंपियन रही हैं. छह बार की विश्व चैंपियन ने एशियाई चैंपियनशिप में भी पांच स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं. वही इस वर्ष हुए चैंपियनशिप के निर्णायक फाइनल का हिस्सा रही थीं.
38 वर्षीय महिला मुक्केबाज का यह आखिरी ओलंपिक हो सकता है. ऐसे में वह खेलों के महाकुम्भ में अपनी एक साख स्थापित करना चाहेंगी और टोक्यो 2020 को सफल एवं यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.
वर्ल्ड नंबर 1 अमित पंघाल से रहेंगी उम्मीदें
महिलाओं में जहाँ मैरीकॉम से पदक की उम्मीद रहेगी वही पुरुषों में अमित पंघाल का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है. 52 भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अमित इस वक्त अपने भारवर्ग में दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज हैं. उनकी यह छवि उन्हें इसबार दूसरे मुक्केबाजों के मन में एक खौफ पैदा करेगी.
ऐसे ही नहीं उनसे, उनके पहले ही ओलंपिक में पदक की उम्मीद की जा रही है. अमित एशियाई खेलों में चैंपियन रहे हैं. वर्ल्ड चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में फाइनल बाउट तक लड़े हैं. वही इसबार के एशियाई चैंपियनशिप के फाइनलिस्ट भी रह चुके हैं.
अन्य भारवर्ग में शामिल भारतीय मुक्केबाज
- विकास कृष्ण (69 भारवर्ग): अनुभवी हैं, साथ ही विश्व चैंपियनशिप में पदक जीता है. 2012, लंदन ओलंपिक में मुक्केबाजी दल का हिस्सा थे. एशियाई खेलों में 1 स्वर्ण समेत 3 पदक अपने नाम किया है.
- सतीश कुमार (91 भारवर्ग): सुपर हेवीवेट केटेगरी में क्वालीफाई करने वाले पहले और एकमात्र भारतीय मुक्केबाज.
- मनीष कौशिक (63 भारवर्ग): विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में जीत चुके हैं पदक.
- आशीष कुमार (75 भारवर्ग) : चौबीस साल के युवा मुक्केबाज हैं. एशियाई चैंपियनशिप में जीता है 2 पदक.
- पूजा रानी (75 भारवर्ग): भारतीय महिला मुक्केबाज हैं. इन्होने सबसे पहले टोक्यो 2020 का टिकट कटाया. 2021, एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण किया अपने नाम.
- लोवलिना बोरगोहेन (69 भारवर्ग) : दो बार विश्व चैंपियनशिप में जीत चुकी हैं पदक
- सिमरनजीत कौर (60 भारवर्ग): 2021, एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. वही पिछले वर्ष के ओलंपिक क्वालिफायर में फाइनल में रजत से संतोष करना पड़ा था.
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