Tokyo Paralympics: टोक्यो में भारतीय एथलीटों का जलवा, पैरालंपिक खेलों में भारत ने रचा इतिहास
Tokyo Paralympics: भारतीय खेलों के इतिहास में 2021 एक स्वर्णिम वर्ष रहा है. इस साल टोक्यो ओलंपिक ऐतिहासिक बना क्यूंकि यह भारतीय एथलीटों का अबतक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था. भारत ने ओलंपिक में सबसे ज्यादा 7 पदक (1 स्वर्ण, 4 कांस्य और 2 रजत) जीते. इसी तरह पैरालंपिक खेलों में भी भारत ने इतिहास रचा है. भारतीय पैरा एथलीटों ने टोक्यो में पैरालंपिक खेलों के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.
भारत ने सोमवार को दो स्वर्ण सहित पांच पदक जीते, जिससे देश के पदकों की संख्या आठ हो गई. भारतीय एथलीटों द्वारा पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2016 के रियो खेलों में आया था, जब उन्होंने चार पदक (दो स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य) जीते थे.
ऐसे में आइए जानें वो कौन से एथलीट रहें जिन्होंने टोक्यो पैरालम्पिक में तिरंगा लहराया है:
अवनि लखेरा -निशानेबाजी
वर्तमान में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग में पांचवें स्थान पर काबिज अवनि लखेरा ने अपने पहले ही पैरालंपिक खेलों में इतिहास रच दिया. निशानेबाज अवनि लखेरा पैरालंपिक में स्वर्ण पदक अर्जित करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने आर-2 महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 इवेंट में पहला स्थान हासिल किया.
जयपुर की रहने वाली 19 वर्षीय कानून की छात्रा लखेरा का 2012 में एक बड़ी कार दुर्घटना में कमर के नीचे का भाग लकवाग्रस्त हो गया था. उस समय वह 11 वर्ष की थी. अवनि ने फाइनल स्पर्धा में 249.6 का स्कोर दर्ज कर एक नया पैरालम्पिक रिकॉर्ड भी कायम किया. लेखरा के पास और पदक जीतने का मौका होगा क्योंकि वह तीन अन्य स्पर्धाओं में भाग लेंगी.
योगेश कथुनिया -डिस्कस थ्रो
डिस्कस थ्रोअर योगेश कथुनिया अपने इवेंट में दूसरे स्थान पर रहे. उनके रजत पदक जीतते ही भारत के नाम टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पांच पदक दर्ज हो गए. और भारतीय एथलीटों ने पैरालम्पिक खेलों के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कायम किया.योगेश ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में 44.38 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया. और रजत जीतने में कामयाब रहें. सेना के एक जवान के बेटे कथुनिया को आठ साल की उम्र में लकवा का दौरा पड़ा था, जिससे उन्हें अंगों के समन्वय की समस्या थी.
भाविनाबेन पटेल -टेबल टेनिस
रविवार को टोक्यो में महिला एकल टेबल टेनिस वर्ग 4 के फाइनल में भारत की भाविनाबेन पटेल ने रजत पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया. वह पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला बन गईं, वही भाविना ने टेबल टेनिस में पहली बार भारत को पदक दिलाया.
बेशक भाविना अपने शानदार लय को फाइनल में कायम नहीं रख पाईं और उन्हें दुनिया की नंबर एक चीनी पैडलर यिंग झोउ से 0-3 (11-7,11-5,11-6) से हारकर रजत से संतोष करना पड़ा. लेकिन, प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने विश्व नंबर 9, 8, 2 और 3 की खिलाड़ी को पराजित किया था.
देवेन्द्र झाझरिया - जैवलीन थ्रो
भारत के स्टार जैवलीन थ्रोअर देवेन्द्र झाझरिया ने पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक जीता. दो बार के स्वर्ण पदक विजेता झाझरिया ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में रजत पर कब्ज़ा जमाया. 2004 और 2016 पैरालंपिक खेलों में पहले ही स्वर्ण पदक जीत चुके 40 वर्षीय झझारिया ने रजत जीतने के लिए 64.35 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया. यह उनके करियर का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो भी साबित हुआ.
सिर्फ आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय अनजाने में बिजली के तार को छूने के बाद अपना बायां हाथ गंवाने वाले झझारिया ने अपना ही पिछला विश्व रिकॉर्ड (63.97 मीटर) तोड़ दिया.
सुमित अंतिल - जैवलीन थ्रो
जैवलीन स्पर्धा में भारत को एक और पदक मिला. सुमित अंतिल ने सोमवार को पैरालंपिक में भारत के लिए दूसरा स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने अपने डेब्यू परलाम्पिक में पुरुषों के F64 श्रेणी के विश्व रिकॉर्ड को तीन बार ध्वस्त किया. हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले 23 वर्षीय ने 2015 में एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवा दिया था. सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर का थ्रो किया. यह थ्रो एक नया विश्व रिकॉर्ड बना गया और उन्होंने दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.
निषाद कुमार - ऊंची कूद
रविवार को हाई जम्पर निषाद कुमार ने एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता. हिमाचल प्रदेश के अंब के रहने वाले एक किसान के बेटे निषाद ने 2.06 मीटर पास कर टी47 वर्ग में रजत पदक जीता. 21 वर्षीय पैरा एथलीट ने महज आठ साल की उम्र में खेत में घास काटने वाली मशीन में उलझकर अपना दाहिना हाथ गंवा दिया था. अमेरिका के डलास वाइज ने भी इसी स्पर्धा में 2.06 मीटर की ऊंचाई पास की और उन्हें भी रजत पदक से सम्मानित किय गया.
सुंदर सिंह गुर्जर -जैवलीन थ्रो
सुंदर सिंह गुर्जर ने F46 फाइनल में कांस्य पदक जीतकर टोक्यो पैरालिंपिक में जैवलीन स्पर्धा में भारत को तीसरा पदक दिलाया. यह वही इवेंट था जिसमें झाझरिया दूसरे स्थान पर थे. 25 वर्षीय गुर्जर ने 64.01 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो कर तीसरा स्थान हासिल किया. एक दोस्त के घर पर धातु की चादर गिरने के बाद 2015 में सुन्दर ने अपना बायां हाथ खो दिया था.बता दें कि जयपुर के रहने वाले गुर्जर ने 2017 और 2019 में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने जकार्ता में 2018 पैरा एशियाई खेलों में भी रजत पदक जीता था.
सिंहराज अधाना - निशानेबाजी
मंगलवार को टोक्यो पैरालिंपिक के फाइनल में, भारत के सिंहराज अधाना ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. उन्होंने 216.8 अंकों के साथ पदक जीता.
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