माइक्रोचिप्स की कमी से जूझ रही दुनिया, इलेट्रॉनिक सामान लेना हो सकता है मुश्किल

 
माइक्रोचिप्स की कमी से जूझ रही दुनिया, इलेट्रॉनिक सामान लेना हो सकता है मुश्किल

कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर में माइक्रोचिप्स की कमी महसूस की जा रही है. शुरुआत में इसका असर सिर्फ ऑटो उद्योग में ही दिख रहा था, लेकिन अब स्मार्टफोन, लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के उत्पादन में समस्या आने लगी है. अगर आप भी मैकबुक का लेटेस्ट मॉडल या फिर एक नया इंटरनेट राउटर लेने जा रहे, तो हो सकता है आपको दिक्कतों का सामना करना पड़े और आपको कई महीने लग जाएं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चिप की कमी के कारण एपल के कुछ मैकबुक और आईपैड मॉडल के उत्पादन में देरी हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार, कुछ आईपैड असेंबलिंग को कंपोनेंट्स की कमी के कारण स्थगित कर दिया गया है. बतादें एपल कंपनी एक वर्ष में लगभग 20 करोड़ आईफोन, 2 करोड़ से अधिक मैकबुक, 1.9 करोड़ आईपैड और 7 करोड़ से अधिक एयरपोड्स की बिक्री करती है.

WhatsApp Group Join Now

एपल के प्रतिद्वंद्वी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने भी हाल ही में पुष्टि की कि चिप की कमी से अप्रैल से जून की अवधि में समस्या पैदा हो सकती है. वहीं फाइनेंशियल टाइम्स ने बुधवार को बताया कि ऑटो प्रोडक्शन में जरुरी एक व्यापक चिप की कमी के कारण दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर में उत्पादन बाधित हो सकता है.

माइक्रोचिप्स की कमी से क्यों जूझ रही दुनिया?

महामारी के दौरान उपभोक्ताओं ने लैपटॉप, गेमिंग कंसोल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का स्टॉक किया है, जिससे ये रिसाइकिल नहीं हुुआ और कमी महसूस होने लगी. दूसरी ओर पिछले कुछ महीनों में कारों और अन्य इलेक्ट्रनिक आइटम के उत्पादन में इजाफा हुआ, लेकिन लॉकडाउन की वजह से माइक्रोचिप्स का उत्पादन उतना नहीं हो पाया.

इसके अलावा चीनी कंपनियों पर प्रतिबंधों की वजह से भी इसका कमी बढ़ने लगी. हालत इतनी गंभीर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने देश में चिप निर्माण के लिए कानून बनाने के लिए $ 37 बिलियन की सहायता मांगी है.

ये भी पढ़ें: मोबाइल से पढ़ने वाले बच्चों के लिए Samsung लाया टैब का ऑफर, टीचर्स को भी फायदा

Tags

Share this story