Telegram के नाम पर ऐसे हैक हो रहे हैं डिवाइस, इनके आगे एंटी-वायरल भी बेअसर
अगर आप Telegram इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि हैकर्स आपके पूरे Telegram अकाउंट को हैक कर सकते हैं. दरअसल, कुछ नकली ऐप है जो Telegram के नाम से सामने आ रहे हैं इनका उपयोग विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले PC, लैपटॉप या अन्य डिवाइस को हैक करने के लिए किया जाता है इसलिए यूजर्स को सावधान रहने की जरूरत है. ये मेलवेयर कुछ फिशिंग अकाउंट या ईमेल के माध्यम से यूजर्स तक भेजा जाता है और फिर यूजर के अकाउंट को हैक कर लेते हैं.
साइबर-सिक्योरिटी रिचर्स मिनर्वा लैब्स के अनुसार, ये खतरनाक मैलवेयर यूजर के डेटा को खतरे में डाल सकता है. शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि ये खतरनाक मेलवेयर इंस्टॉल्स एंटी-वायरस सिस्टम से बचने में भी सक्षम है. हैकर्स नकली इंस्टॉलरों की मदद से बिल्कुल Telegram जैसा दिखने वाले ऐप को डिस्ट्रब्यूट कर रहे हैं.
एक रिचर्सर नताली जरगारोव ने कहा है कि, हमने भारी संख्या में मैलेशियस इंस्टॉलरों को एक ही हमले की सीरीज का इस्तेमाल करते हुए पर्पल फॉक्स रूटकिट वर्जन वितरण करते हुए पाया है. हमें ऐसा लगता है कि, कुछ ईमेल के जरिए डिलीवरी किए गए थे, और कुछ अन्य तरीकों से डाउनलोड किए गए थे.
इस साइबर हमले की खास बात ये है कि इस पर एंटी वायरस भी बेअसर है. रिचर्सर ने बताया कि, इस हमले में हर स्टेज को एक अलग फाइल में विभाजित कर दिया जाता है जो फाइल सेट के बिना किसी काम का नहीं है. शोधकर्ताओं ने अपनी जांच में पाया कि, ये हैकर्स कई छोटी फाइलों में हमले को अलग कर देते हैं और फिर रडार के नीचें छिपा देते हैं. इसका फाइनल स्टैज पर्पल फॉक्स रूटकिट इंफेक्शन की ओर ले जाता है.
इस खतरनाक मैलवेयर को सबसे पहले 2018 में देखा गया था. Thehackernews के अनुसार, ये मैलवेयर रूटकिट क्षमताओं के साथ आता है यानी कि यह मेलवेयर को एंटी वायरस रिसोर्सेज की पहुंच से परे इम्प्लांट करने की आज्ञा देता है.
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