बाबा हरभजन सिंह: 50 वर्षों पूर्व शहीद हुआ जवान करता है भारत-चीन सीमा की निगरानी
यूँ तो भारतीय सेना में मौजूद रणबांकुरों के युद्ध कौशल से दुनिया में हर कोई वाकिफ़ है जिस कारण भारतीय सेना अब तक पडोसी मुल्कों से कई युद्ध भी जीत चुकी है. हालंकि सेना ने युद्ध में अबतक अपने कई वीर शहीदों को युद्ध में भी खोया है लेकिन क्या आप जानते है भारतीय सेना का एक ऐसा वीर सपूत भी है जो शहीद होकर भी अपनी निरंतर सेवाएं सेना व माँ भारती को दे रहा है.
आज हम अपने आर्टिकल में पंजाब रेजीमेंट के हरभजन सिंह का जिक्र करेंगे जिनको शहीद हुए 52 वर्ष से ज्यादा हो चुका है लेकिन उनकी आत्मा आज भी इस देश की रक्षा कर रही है.
बाबा हरभजन सिंह : एक परिचय
30 अगस्त 1946 को जन्मे बाबा हरभजन सिंह, 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 1968 में वो 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत थे. 4 अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथू ला पास के पास उनका पांव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई. पानी का तेज बहाव उनके शरीर को बहाकर 2 किलोमीटर दूर ले गया. कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शरीर के बारे में जानकारी दी. खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर उसी जगह मिल गया.
हरभजन बाबा का मंदिर
यह भी माना जाता है कि सपने में उन्होंने इस बात की इच्छा जताई थी कि उनकी समाधि बनाई जाए और उनकी इस इच्छा का मान रखते हुए उनकी एक समाधि बनवाई गई. लोगों में इस जगह को लेकर बहुत आस्था थी लिहाजा श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने 1982 में उनकी समाधि को 9 किलोमीटर नीचे बनवाया दिया, जिसे अब बाबा हरभजन मंदिर के नाम से जाना जाता है. हर साल हजारों लोग यहां दर्शन करने आते है.
भारत-चीन सीमा की करते है निगरानी
अब वो कैप्टन हैं और उनकी सैलरी उनके घरवालों को भेज दी जाती है. कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी बाबा हरभजन सिंह नाथु ला के आस-पास चीन सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने मित्रों को सपनों में देते रहे, जो हमेशा सच साबित होती थीं. साथ ही वह 14 हजार फीट ऊंचे बॉर्डर की भी रखवाली करते हैं पर उनको किसी भी अटैक की तीन दिन पहले खबर देनी होती है.
बाबा का एक खलासी होता है, जो उनके बूट पॉलिश करता है. उनकी यूनिफॉर्म प्रेस करता है. आर्मी वालों का बाबा के होने पर पूरा यकीन है. वो कहते हैं कि रोज बाबा का बिस्तर बदलते वक्त उनके बिस्तर पर सिलवटें पड़ी होती हैं और उनके कमरे में जो कपड़े रखे जाते हैं, उन पर भी सिलवटें पड़ी होती हैं. और उनके जूते भी गंदे होते हैं. वहीं जब कभी हरभजन सिंह की बटालियन की मीटिंग होती है तब हरभजन सिंह जी को एक पृथक कुर्सी प्रदान की जाती है जिस पर कोई भी नहीं बैठता, मान्यताओं के अनुसार हरभजन सिंह मीटिंग के दौरान आते हैं और उस में भाग लेते हैं.
उनकी मौत को 50 साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन आज भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभा रही है. बाबा हरभजन सिंह को नाथू ला का हीरो भी कहा जाता है.
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