Afghanistan: आखिर कौन है तालिबानी? इतना क्यों डरते हैं अफगानी? जानें इनकी पूरी कहानी

 
Afghanistan: आखिर कौन है तालिबानी? इतना क्यों डरते हैं अफगानी? जानें इनकी पूरी कहानी

अखबार की सुर्खियों से लेकर टीवी चैनल्स तक इन दिनों बस एक ही नाम की गूंज है और वो है तालिबान. जिसने हाल ही में अफगानिस्तान (Afghanistan) के लगभग पूरे हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया है. जहां लोग अपने ही घर और देश में एक बंदी बनकर रह गए हैं. 20 साल बाद एक बार फिर से तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान पर अपने कदम जमाएं हैं. यह वहीं दिन हैं जिसकी उम्मीद अफगानिस्तान के लोगों ने सपने में भी न की होगी.

आज हम आप सभी को बताएंगे के आखिर ये तालिबान (Taliban) है क्या ? इसकी ताकत का अंजाम किस हद तक हो सकता है ? लोगों के मन में तालिबान के लिए खौफ इतना कैसे बढ़ गया ? साथ ही हम आपको तालिबानी सजाओं के बारे में भी बताएंगे जिसे सुनने के बाद आपको अंदाज़ा हो जाएगा के इस वक्त अफगानिस्तान के लोग कैसा महसूस कर रहे होंगे.

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1994 में अफगानिस्तान से ही हुई थी तालिबान की शुरुआत

तालिबान को तालेबान नाम से भी जाना जाता है. तालिबान की शुरुआत साल 1994 में अफगानिस्तान से ही हुई थी, दरअसल यह एक इस्लामिक आधारवादी आंदोलन है जिसमें शामिल लोग इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं और इस पर यकीन भी करते हैं. तालिबान एक पश्तो भाषा का शब्द है जिसका अर्थ छात्र है. अफगानिस्तान में साल 1996 से लेकर 2001 तक तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च नेता था. उन्ही दिनों इसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित किया था. इन दिनों अफ्गानिस्तान की खराब हालत का जिम्मेदार सिर्फ तालिबान माना जाता है.


उन दिनों जब 90 दशक की शुरुआत ही हुई थी, जिस दौरान सोवियत संघ अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापसी लेने की तैयारी कर रहा था, जिसके बाद तालिबान का उदय हुआ. उस वक्त उन्होनें राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को अफगानिस्तान की सत्ता से हटाया था. फिर साल 1998 के समय पर अफगानिस्तान के लगभग 90 प्रतिशत पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका था.

कहा जाता है कि सबसे पहले धार्मिक मदरसों में पश्तों आंदोलन उभरा, जिसमें सुन्नी इस्लाम की कट्टर मान्यताओं का प्रचार किया जाता था यहां तक कि पुरुषों के लिए दाढ़ी रखने और वहां रहती महिलाओं को बुर्खें से पूरा शरीर ढ़कने के आदेश जारी किए गए थे.

तालिबानियों का क्यों है खौफ?

इस बीच छोटी बच्चियों को भी इस संघर्ष का भोगी बनना पड़ा, जी हां तालिबान ने 10 साल यो उससे अधिक उम्र की बच्चियों के स्कूल जाने पर भी पाबंदी लगा दी थी. साल 1996 में तालिबान ने लिंग के आधार पर कईं कड़े कानून बनाए जिस कारण महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी.

जो सबसे ज्यादा खतरनाक तालिबान का फरमान था वो अब हम आपको बताते है कि अगर किसी महिला द्वारा आदेश का उल्लंघन किया गया तो उसे बुरी तरह पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया जाएगा. इस कारण ही अफगानिस्तान के लोगों के दिलों में खौफ पैदा हुआ है.

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