सामूहिक हत्या पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित 'इब्राहिम रईसी' होंगे ईरान के नए राष्ट्रपति
ईरान में नए राष्ट्रपति के नाम की पुष्टि हो गई है. देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रायसी अब देश के नए राष्ट्रपति होंगे. विदेश मत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने इस खबर पर मुहर लगा दी है. बतादें देश में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती ने अपने प्रतिद्वंद्वी एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख से शनिवार तड़के अपनी हार स्वीकार कर ली हैं.
वही डिप्टी इंटीरियर मिनिस्टर जमाल ओर्फ़ ने कहा कि शुक्रवार के चुनाव में 28.6 मिलियन ईरानियों ने हिस्सा लिया और अब तक लगभग 90 फीसद वोटों की गिनती के साथ, रईसी ने 17.8 मिलियन से ज्यादा वोट हासिल कर चुके हैं. वहीं दूसरे स्थान पर 3.3 मिलियन मतपत्रों के साथ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक सीनियर अफसर अधिकारी और एक्सपीडिएंसी डिस्कर्नमेंट काउंसिल के मौजूदा सेक्रेटरी मोहसिन रेज़ाई रहे.
चुनावी मतदान में दिखी उदासीनता
ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ. प्रारंभिक परिणाम के अनुसार, रईसी ने एक करोड़ 78 लाख मत हासिल किए. चुनावी दौड़ में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए. बहरहाल, खामेनेई ने रईसी के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य करार दे दिया था, जिसके बाद न्यायपालिका प्रमुख ने यह बड़ी जीत हासिल की.
रईसी की उम्मीदवारी के कारण ईरान में मतदाता मतदान के प्रति उदासीन नजर आए और पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया.
रईसी पर अमेरिका लगा चुका है प्रतिबंध
बतादें इब्राहिम रईसी अमेरिका पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था. माना जा रहा है रईसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी. ऐसे में विश्व शक्तियों के साथ ईरान के पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत वियना में जारी वार्ता पटरी से उतर भी सकती है.
न्यायिक शाखाओं में कार्य का अनुभव
2019 से चीफ जस्टिस रहे रईसी ने 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद देश की न्यायिक शाखा में कई अन्य पदों पर काम किया है. रईसी ने "लोकप्रिय प्रशासन, मजबूत ईरान" के नारे के साथ प्रचार किया. जिसका मकसद कार्यकारी शाखा में भ्रष्टाचार को खत्म करना, गरीबी से लड़ना, रोजगार पैदा करना और मंहगाई पर काबू पाना था.
ये भी पढ़ें: बाइडेन प्रशासन से टकराव के लिए तानाशाह किम जोंग ने जारी किए निर्देश, जानें