ब्रिटेन: 'पत्थर' में बदल रहा बच्ची का शरीर, 20 लाख बच्चों में किसी एक को होती है यह बिमारी

 
ब्रिटेन: 'पत्थर' में बदल रहा बच्ची का शरीर, 20 लाख बच्चों में किसी एक को होती है यह बिमारी

ब्रिटेन में एक बच्ची अत्यंत दुर्लभ माने जाने वाली बिमारी से इनदिनों जूझ रही है. इस जीन से संबंधित घातक बीमारी को Fibrodysplasia Ossificans Progressiva कहा जाता है. इस बीमारी में इंसान का शरीर पत्‍थर में बदलने लगता है. बच्‍ची के परिवार वालों ने अब दुनियाभर के अभिभावकों को संभावित लक्षणों को लेकर चेतावनी दी है.

इस बच्ची का नाम लेक्सी रॉबिन्स है. वह किसी भी सामान्य बच्चे की तरह लगती है, हालांकि वह अपना अंगूठा नहीं हिला पाती और उसके पैर की उंगलियां भी बड़ी हैं. जन्म के कुछ माह उसके माता-पिता उसे डॉक्टरों के पास ले गए. उसकी जांच में पता चला कि वह सीमित जीवन की बीमारी 'फाइब्रोडिस्प्लासिया ओसिफिकंस प्रोग्रेसिवा (एफओपी) से पीड़ित है. 20 लाख लोगों में से एक को यह बीमारी होती है.

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इसलिए कहलाता है पत्थर का शरीर

बतादें फाइब्रोडिस्प्लासिया ऑसिफिकन्स प्रोग्रेसिवा (एफओपी) एक बहुत ही दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है, जो शरीर के उन क्षेत्रों को प्रभावित करती है जहां हड्डी मौजूद नहीं होती है. ऐसा माना जाता है कि यह मांसपेशियों और संयोजी ऊतकों जैसे कि टेंडन और लिगामेंट्स को हड्डी से बदल देता है. ऐसे में माना जाता है कि शरीर धीरे-धीरे पत्थर जैसा होने लगता है.  

20 साल बिस्तर पर और अधिकतम उम्र 40 साल

एफओपी के शिकार मरीजों का कोई इलाज नहीं है. ऐसे लोग 20 साल की उम्र तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं. उनकी अधिकतम आयु 40 साल होती है. इस बीमार के शिकार लेक्सी हो या कोई और, वे मामूली झटका भी सहन नहीं कर सकते. गिरने की हालत में उनकी स्थिति तेजी से बिगड़ जाती है. ऐसे मरीज बच्चों को भी जन्म नहीं दे सकते. ये इंजेक्शन और वैक्सीन नहीं लगवा सकते हैं और यहां तक की दांतों का इलाज भी नहीं करा सकते हैं.

लेक्‍सी की मां एलेक्‍स ने कहा, 'एक्‍सरे के बाद शुरू में हमें बताया गया कि उसे एक सिंड्रोम है और वह चल नहीं पाएगी. हमें इस पर भरोसा नहीं हुआ क्‍योंकि वह उस समय शारीरिक रूप से बहुत मजबूत थी. वह अपने पैर हिला रही थी। हमें पूरी तरह से भरोसा नहीं था तो हमने मई के मध्‍य में रिसर्च किया. हमने पाया कि उसे यह बीमारी है. हम उसे विशेषज्ञ के पास ले गए. हमने उसका अमेरिका में जेनेटिक टेस्‍ट कराया. इसमें उसके बीमारी का पता चला.' इस बच्‍ची को अब न तो कोई इंजेक्‍शन लग सकता है और न ही टीका. वह बच्‍चे को भी जन्‍म नहीं दे सकेगी. वैज्ञानिक अब बच्‍ची की जान बचाने के लिए जद्दोजहज कर रहे हैं.

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