Amarnath yatra 2023: अमरनाथ की यात्रा पर जाने से पहले जान लें इतिहास, वरना नहीं मिलेगा फल

 
Amarnath yatra 2023: अमरनाथ की यात्रा पर जाने से पहले जान लें इतिहास, वरना नहीं मिलेगा फल

Amarnath yatra 2023: देवों के देव महादेव की तो पूरी दुनिया दीवानी है. यही कारण है कि उनकी भक्ति में लीन श्रद्धालु ऊंचे ऊंचे पर्वत शिखरों पर जाने से भी नहीं डरते हैं. केदारनाथ, तपेश्चर नाथ जैसे भगवान शिव के सबसे कठिन धार्मिक स्थलों में अमरनाथ की यात्रा भी शामिल है. अमरनाथ यात्रा पर जाने का इंतज़ार लोगों को वर्ष भर रहता है. यह वह स्थान है जहां भगवान शिव ने तपस्या की थी. भगवान शिव के इस पावन स्थल पर वहीं आ पाता है जिस पर भगवान की असीम कृपा होती है.

दरअसल अमरनाथ की गुफा श्रीनगर से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है. यह गुफा 150 फीट ऊंची और करीब 90 फीट लंबी और समुद्र तल से 3978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अमरनाथ (Amarnath yatra 2023) गुफा में हिमखंडों द्वारा शिवलिंग तैयार होता है जो कि एकदम प्राकृतिक रूप से बढ़ता रहता है. इस प्रकार गुफा में 10 से 12 फुट ऊंचा हिम शिवलिंग स्वतः ही बनता है. जिसके दर्शन के लिए यहां लाखों की भीड़ में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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आज भी अमर पक्षी दिखाई देते हैं यहां (Amarnath yatra 2023)

अमरनाथ (Amarnath yatra 2023) की गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें भक्तों द्वारा 'अमरपक्षी'बताया जाता है. माना जाता है कि जब भगवान शिव पार्वती जी को अमर कथा सुना रहे थे तब इन कबूतरों के जोड़े ने यह पूरी कथा सुनी, ऐसी मान्यता है कि तब से कबूतर का ये जोड़ा अमर हो गया.

अमरनाथ (Amarnath yatra 2023) यात्रा का है पूरा वर्णन

भगवान शिव ने पार्वती जी को जिस अमर कथा का वर्णन किया, उस कथा में अमरनाथ यात्रा और उसके मार्ग से जुड़े कई स्थलों का वर्णन किया गया. अमरनाथ जाने के लिए दो रास्ते अपनाए जाते हैं, पहला पहलगाम होकर और दूसरा सोनमार्ग बालटाल से अमरनाथ जाया जा सकता है, लेकिन पहलगाम से अमरनाथ जाना काफी सरल है.

इस रास्ते में पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है जो 8 किलोमीटर है उसके बाद शेषनाग झील आती है जो कि 14 किलोमीटर दूर है. इसके बाद पंचतरणी आता है और इसके बाद अमरनाथ गुफा 8 किलोमीटर दूर रह जाती है.

हिंदू माह के अनुसार अमरनाथ (Amarnath yatra 2023) की यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से प्रारंभ होती है और पूरे सावन के महीने में चलती है. रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन ही गुफा में बनी हिम शिवलिंग के पास छड़ी मुबारक भी स्थापित कर दी जाती है.

बाबा बर्फानी की शिवलिंग से कुछ दूरी पर गणेश, भैरव और पार्वती जी के भी हिमखंड तैयार हो जाते हैं. इस प्रकार बाबा के भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और उनके दर्शन की कामना रखते हैं.

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