Chaitra Navratri 2022: इस मंदिर में स्वयं प्रकट हुई थी माता, जानिए हरिद्वार स्थित इस अद्भुत मंदिर के बारे में...
Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल 2022 से शुरू हो चुके हैं. और अब समाप्ति की ओर हैं. इस नवरात्रि हम आपको एक ऐसी प्राचीन घटना के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे.
जी हां, जब माता ने स्वयम्भू स्वरूप के दर्शन दिए थे. और उन दिनों हमारे देश पर राज करने वाले अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे.
आइये आपको बताते है उत्तराखंड के हरिद्वार की एक सत्य घटना. जिसमें मां काली ने अपने होने का एहसास कराया था.
मां काली का प्राकट्य रूप मौजूद है इस मंदिर में...
वैसे तो हरिद्वार में कई प्राचीन डाट काली मंदिर हैं. और सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं. चंडी देवी के रेलवे लाइन हरिद्वार के किनारे एक पहाड़ी पर, माता का ऐसा मंदिर स्थित है जहां माता स्वयं प्रकट हुई थीं.
बताया जाता है कि आज से लगभग 125 साल पहले जिन्होंने अंग्रेजों का रास्ता भी रोक दिया था.
बताया जाता है कि 1889 में अंग्रेजों द्वारा हरिद्वार से देहरादून जाने के लिए, रेलवे की सुरंग बनाने का कार्य किया जा रहा था. वहीं भीमगोड़ा नामक क्षेत्र में रेलवे की सुरंग बन भी चुकी थी. लेकिन आगे रेलवे ट्रैक नहीं पड़ा था.
रेलवे ट्रैक डालने में बार-बार कोई न कोई हादसा हो जाता, या पहाड़ टूटकर ट्रैक पर गिर जाता या कुछ और हो जाता. इसी सुरंग से तकरीबन 200 मीटर की दूरी पर मां काली का मंदिर स्थित था.
जहां रोज सुबह शाम भक्त माता के दर्शन करने जाया करते थे. लेकिन रेलवे लाइन की वजह से अंग्रेजों ने मंदिर का रास्ता बंद कर दिया था. जिस वजह से वहां माता के भक्त नहीं पहुंच पा रहे थे.
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इंजीनियर को आया था सपना, तब जाकर बना मंदिर जाने का रास्ता
जानकारी के अनुसार वह इंजीनियर जो रेलवे लाइन बना रहा था. माता ने उसको सपने में दर्शन दिए और उससे कहा कि जब तक मंदिर का रास्ता नहीं बनेगा, तब तक यह रेलवे लाइन भी नहीं बन पाएगी.
इस स्वप्न के उपरांत उस इंजीनियर ने सबसे पहले माता के मंदिर तक जाने के लिए लोहे का पुल बनवाया उसके बाद ही रेलवे लाइन बन सकी.
तब से इस मंदिर की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है. बड़ी-बड़ी दूर माता के भक्त डाट काली मंदिर में माता काली के दर्शन करने, व माता की उपासना करने आते हैं.