Chanakya Niti: इन परिस्थितियों के चलते हर व्यक्ति को झेलना पड़ता है कष्ट, बाहर निकलने का नहीं मिलता कोई मार्ग
Chanakya Niti: हमारे समाज में विद्वानों की बातों का विशेष महत्व माना गया है. विद्वानों की श्रेणी में आने वाले आचार्य चाणक्य की नीतियों का भी सर्वजगत में मान है. आचार्य चाणक्य की नीतियों में ऐसी बातों का उल्लेख पाया जाता है जिसके माध्यम से व्यक्ति असफलता की राह पर भी सफलता हासिल कर लेता है.
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इसी के साथ-साथ इस नीति में कुछ ऐसी दशाओं के विषय का भी उल्लेख होता है जिनमे किसी व्यक्ति को सबसे ज्यादा कष्ट होता है. चाणक्य नीति में एक श्लोक के माध्यम से छह ऐसी बातों को बताया गया है जिनके होने से व्यक्ति का शरीर अग्नि के समान जल जाता है यानि उसे अत्यंत कष्ट का सामना करना पड़ता है.
कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
चाणक्य नीति में उल्लेखित इस श्लोक का अर्थ यह है कि किसी भी मनुष्य के लिए ये निम्नलिखित छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं.
पत्नी का वियोग
अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत होना
कर्ज
दुष्ट राजा की सेवा करना
गरीबी
कमजोर लोगों की सभा में सम्मलित होना
चाणक्य नीति के अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी नहीं है, उसका कष्ट कोई दूसरा नहीं समझ सकता है. साथ ही अपने परिजनों या प्रियजनों द्वारा बेइज्जत होना भी आपको असहनीय दुख देता है. दुष्ट राजा की सेवा न चाहते हुए भी बर्दाश्त करना पड़ता है. गरीबी भी व्यक्ति के जीवन में तिल तिल करके परेशानियों का अंबार लगा देती हैं. अतः चाणक्य नीति के अनुसार यह परिस्थितियां मनुष्य को अग्नि के समान जला देने जैसा कष्ट देती हैं.
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ समझना बहुत ही जरूरी है. युवाओं को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. दरअसल इस श्लोक में चाणक्य जी समझाते हैं कि जो लोग गलत और अनैतिक कामों में लिप्त रहने वालो के साथ रहते हैं और अपनी बुरी संगत को नहीं त्यागते उन्हें बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता है. युवाओं की बुरी संगत उनके पूरे जीवन को प्रभावित करती है. अतः चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को बुरी संगत से दूर रहना जरूरी है.