Chanakya Niti: इन 8 लोगों के आगे कभी ना बहाएं आंसू, नहीं होता है कोई लाभ

 
Chanakya Niti: इन 8 लोगों के आगे कभी ना बहाएं आंसू, नहीं होता है कोई लाभ

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति में जीवन की हर एक समस्या व उस समस्या के निदान के विषय में लिखा गया हुआ है. यही कारण है कि अधिकांश लोग चाणक्य की नीति को अपनाकर हर क्षेत्र में अपना परचम लहराते हैं. चाणक्य नीति पर आज भी लोग विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं.

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चाणक्य नीति के अनुसार कई बातें बताई गई हैं जिनमें से एक बात यह है कि आपके जीवन में 8 ऐसे तरह के लोग आएंगे जिन्हें आपके दुख से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा. भले ही आप का नुकसान हो या आपकी कोई समस्या हो इन लोगों को आपके इस दुख से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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इन लोगों को नहीं पड़ता है आपके दुख से फर्क

राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।

Chanakya Niti: इन 8 लोगों के आगे कभी ना बहाएं आंसू, नहीं होता है कोई लाभ

इस श्लोक के मुताबिक जानिए वह 8 लोग जिनको नहीं पड़ता है आपके दुख से कोई फर्क

राजा को नहीं होता है दुख

चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि, राजा यानी शासन व्यवस्था को किसी के दुख से फर्क नहीं पड़ता. बल्कि वह अपनी राजनीति या राजनीति पर काम करता है. उसे किसी की भावनाओं के आहत होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

वेश्या रखती है अपने काम से मतलब

चाणक्य के अनुसार, एक वेश्या को भी अपने आप से मतलब होता है. वह किसी के दुख से मतलब नहीं रखती. क्योंकि उसे किसी से भी लगाव नहीं होता और वह उसकी दुखद भावनाओं को नहीं समझती है.

यमराज को नहीं दिखते है किसी के आंसू

चाणक्य के अनुसार यमराज जो लोगों की जान लेते हैं वह भी किसी के दुख से भयभीत नहीं होते हैं. किसी को भी रोता देखकर या परेशान होता देखकर यमराज को कोई फर्क नहीं पड़ता.

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अग्नि कर देती है सबको नष्ट

अग्नि को भी मनुष्य के दुख से कोई वास्ता नहीं होता, वो बस सब कुछ जला देना चाहती है. उसे किसी के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं होता.

चोर करना है बस नुकसान

चोर भी किसी के दुख को नहीं समझते हैं. चोर का उद्देश्य चोरी करना होता है. चोर अपने इसी उद्देश्य के लिए कार्य करता है और उससे दूसरे व्यक्ति को क्या दुख होगा उसे उसका कोई भी फर्क नहीं पड़ता.

बच्चों को नहीं दिखता है दुख

बच्चों को भी किसी की परेशानी या दुख से कोई मतलब नहीं होता. वो नादान होते हैं और इसीलिए किसी की भावनाओं को समझ नहीं पाते.

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भिक्षुक रोने वाले के आगे भी फैलाता है हाथ

भिक्षुक को भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला कितना दुखी है. वो बस वही करता है जिसके लिए वो आया है. वह अपनी बिक्षा के लिए किसी की भी आगे भी हाथ फैला लेता है.

ग्राम वासियों के भी दुख नहीं दिखते हैं

ग्रामकंटक यानि गांव के लोगों को परेशान करने वाले भी किसी के दुख को नहीं समझते हैं. उनका कार्य गांव के लोगों को परेशान करना है और वह अपने इसे काम के लिए प्रयास करते हैं. किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो वह इस बात का भी फर्क नहीं करते हैं.

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