Char Dham Yatra 2022: चारधाम में है एक ऐसा दरवाजा, जो जाता है सीधे स्वर्ग तक, बिना पैसे कीजिए दर्शन

 
Char Dham Yatra 2022: चारधाम में है एक ऐसा दरवाजा, जो जाता है सीधे स्वर्ग तक, बिना पैसे कीजिए दर्शन

Char Dham Yatra 2022: अक्षय तृतीया वाले दिन से चार धाम की यात्रा शुरू हो जाती है. ऐसे में यदि कपाट खुलने के बाद आप भी चार धाम की यात्रा पर जा रहे हैं,

तो आज का ये लेख आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक साबित होने वाला है. आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने वाले हैं, जहां से आपको सीधे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है.

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जी हां! चार धाम की यात्रा के दौरान आपको इस दिव्य स्थान की यात्रा भी जरूर करनी चाहिए, जहां जाकर आप सशरीर ही स्वर्ग की प्राप्ति कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कहां है ऐसा दिव्य स्थान और कैसे पहुंच सकते हैं वहां…

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स्वर्ग का दरवाजा खुलता है यहां…

उत्तराखंड राज्य के गंगोलीहाट में स्थित माता कालिका के मंदिर के पास एक गुफा मौजूद है. जहां से ही आपको स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

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ये स्थान समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है, जोकि धरती के 120 फीट अंदर गहराई तक मौजूद है. इस गुफा का जिक्र स्कंद पुराण के मानस खंड में भी है.

कहते हैं यहां आदि शंकराचार्य ने एक शिवलिंग की भी स्थापना की थी. जहां पहुंचने के लिए आपको एक संकरे रास्ते से होते हुए करीब 20 मीटर झुककर इस प्राकृतिक गुफा में प्रवेश करना पड़ता है.

मान्यता है कि धरती पर एक ऐसी गुफा यही है, जहां सारे देवी देवता भगवान शिव की आराधना के लिए पधारते हैं. इतना ही नहीं, पाताल लोक की अप्सराएं, नागा और योगी भी यहां शिवजी के दर्शन के लिए आते हैं.

जिस कारण कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस गुफा में प्रवेश कर लेता है, उसे सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

इन्होंने की थी इस स्वर्ग के दरवाजे की खोज…

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस गुफा की खोज राजा रितुपूर्णा ने की थी. जोकि एक सूर्यवंशी राजा थे. कहते हैं एक बार जब राजा रितुपूर्णा एक जंगल में विश्राम कर रहे थे, तब उन्हें वहां एक गुफा दिखाई दी.

जिसके मुख्य द्वार पर शेष नाग द्वारपाल बने खड़े थे. और जब राजा ने उनसे अंदर जाने की अनुमति मांगी. तब राजा रितुपूर्णा हुड पर सवार होकर गुफा के अंदर चले गए.

तब उन्हें वहां साक्षात 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन हुए. कहते हैं यही पर राजा रितुपूर्णा को भगवान शिव के भी दर्शन हुए थे. जिसके बाद से ही इस गुफा को काफी पवित्र माना जाता है और यहां नियमित तौर पर पूजा की जाती है.

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इस गुफा में दिखेंगी देवी देवताओं की प्रतिमूर्तियां और मिलेगा स्वर्ग जाने का रास्ता…

इस गुफा की चट्टानों पर हिंदू धर्म की अनेक पौराणिक कथाओं जैसे, हिरण्यकश्यप को कहानी, राजा परीक्षित के बेटे की कहानी आदि देखी जा सकती हैं. जिनको गुफा के पत्थरों पर बड़ी खूबसूरती से उकेरा गया है.

साथ ही गुफा के भीतर चट्टानों पर गणेश जी का बिना सिर का धड़ भी दिखाई पड़ेगा, जिस पर कमल के फूल से पानी गिरता है. आगे आपको गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ की कृतियां भी मिलती हैं.

यही कारण है कि इस पवित्र गुफा की यात्रा को चार धाम की यात्रा के बराबर पुण्य देने वाला बताया गया है. गुफा के भीतर एक कुत्ते के मुंह के आकार की काल भैरव की गुफा मौजूद है,

जहां से ही स्वर्ग का रास्ता शुरू होता है, लेकिन यहां पहुंचता अत्यंत कठिन है. क्योंकि यहां मौजूद चढ़ाई पर अत्यधिक फिसलन है, जिस कारण इस गुफा की यात्रा काफी दुर्गम है.

इस गुफा में चार द्वार भी बने हैं, जिनमें से केवल दो द्वार ही खुलते हैं. मान्यता है कि एक द्वार रावण की मौत के बाद तो वहीं दूसरा महाभारत युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था. केवल दो द्वार ही खुले हुए हैं.

कहा जाता है, हर युग की समाप्ति के बाद एक दरवाजा स्वयं ही बंद हो जाता है. ऐसे में जब कलियुग का अंत होगा तब एक दरवाजा और बंद हो जायेगा.

इसके अलावा, इस गुफा में प्रवेश के बाद आपको कल्पवृक्ष और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के भी दर्शन होते हैं. साथ ही यहां आपको पांडवों के जीवन के भी दर्शन होते हैं,

साथ ही गंगा माता के शिव जी की जटाओं और ब्रह्मा के मुख को भी चट्टानों पर उकेरा गया है. जिनके दर्शन मात्र से ही आपको अलौकिक संसार से मोह छूट जाएगा और आपको सांसारिक दुखों से हमेशा के लिए ही मुक्ति मिल जाएगी.

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