Dusshera 2022: इस दशहरे जानिए रावण को कैसे मिली थी सोने की लंका?
Dusshera 2022: भारत में हर वर्ष विजयादशमी मनाई जाती है. जिसका अर्थ है विजय की दशमी. यानि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. वह रावण जिसे दशानन व लंकापति के नामों से भी जाना जाता है. रावण यूं तो एक महान ब्राह्मण था और उसके मुकाबले का ज्ञान किसी के अंदर नहीं था.
लेकिन राक्षसी प्रवृत्ति तथा बुरे कर्मों के फलस्वरुप श्री राम द्वारा उसका वध किया गया. जिसके बाद से भारत में हर वर्ष रावण का पुतला भी दहन होता है.
इस वर्ष 2022 में रावण दहन 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. सभी क्षेत्रों में रावण का पुतला बनाकर उन्हें जलाया जाता है. इस प्रकार यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है.
हम सभी जानते ही हैं कि रावण लंका का राजा था. उस लंका का राजा जो पूरी तरह सोने की बनी थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह लंका रावण की नहीं थी बल्कि रावण ने उसे किसी से हथियाया था.
रावण को मिल गई इस प्रकार सोने की लंका
दरअसल रावण को जिस लंका का लंकापति कहा जाता है. वह वास्तव में उसके लिए नहीं बनाई गई थी. हिंदू धर्म के पुराणों के मुताबिक जब एक बार भगवान शिव और माता पार्वती बैकुंठ की ओर जा रहे थे. तब उन्होने लंका की खूबसूरती का दृश्य देखा. इस जगह पर उन्होंने भगवान शिव से अपना एक महल बनाने की जिद पकड़ ली.
शिव जी ने उनकी बात पर सहमति देते हुए वाह सोने की लंका बनवाने का आदेश दिया. इस लंका के निर्माण के लिए भगवान शिव ने कुबेर और विश्वकर्मा जी को आमंत्रित किया. उनके द्वारा बेहद सुंदर और आकर्षक लंका महल तैयार किया गया. जो कि पार्वती जी को बेहद प्रिय था.
लेकिन एक बार जब रावण उस लंका महल की ओर से निकल रहा था. तब उसने इस महल के सौंदर्य और वैभव को देखा. लंका महल को देखकर रावण के मन में लालच जाग उठा. इस महल को अपनाने के लिए उसने एक गरीब ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया.
गरीब ब्राह्मण का रूप लेकर वह शिवजी के महल में गया और दान मांगने लगा. हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव तो भोले हैं, जो कोई भी सच्चे मन से उनसे मांगता है वह दे देते हैं.
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ऐसे में एक गरीब ब्राह्मण का रूप धरकर रावण ने भगवान शिव से सोने के महल को दान में देने का वचन ले लिया. भगवान शिव सोने की लंका रावण को सौंपकर खुद कैलाश की ओर चल दिए. इस प्रकार रावण लंका का राजा पति के बन गया.
लंका को जलने का मिला था श्राप
बेशक रावण ने भगवान शिव से छल से लंका को अपना बना लिया था. लेकिन जब माता पार्वती को इस बात की सच्चाई का पता चला तब उन्होंने रावण को क्रोधित होकर श्राप दे दिया.
उन्होंने लंका को भस्म होने का श्राप दे दिया. यही कारण है कि रामायण की कथा में हनुमान जी द्वारा अपनी पूंछ से श्रापित लंका को पूरी तरह से आग में जला दिया गया था.